टीआइ मनीष डाबर के मुताबिक प्रकरण में आरोपी बरखा 23 पति मंगल भील निवासी न्यू प्रकाश नगर झुग्गी झोपड़ी को मासूम भतीजी नंदू 4 और मुस्कान 6 पिता सोनू की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि बरखा की शादी मंगल से हुई थी। बीते दो माह से वह कमल के संपर्क में है। दोनों वहीं पर पति-पत्नी के रूप में रहते थे। पता चला है की आरोपी बरखा का कल दिन से ही झुग्गी में हंगामा कर रही थी। उसका कमल से भी विवाद हुआ था। इस दौरान पिता बबलू ने बरखा को टोका था। विवाद के दौरान उन्होंने बरखा को चांटा मार दिया था। इस बात का बदला लेने के लिए बरखा ने माता-पिता की झोपड़ी में माचिस से आग लगा दी थी। जिसमें दोनों मासूम बहनें सो रही थी।
वहीं पुलिस जांच मेंं पता चला है कि झोपड़ी चारों तरफ अनाज के बोरे से ढंकी थी। उस पर टीन शेड़ लगा था। सूखे बोरे में कुछ ही देर में आग तेजी से फैल गई। इस दौरान छत पर लगी टीन शेड़ अचानक दोनों बहनों पर भरभराकर गिर गई। तेज आग की चपेट में आने से दोनों मासूम पूर्ण रूप से जल गई। जिससे उनकी घटनास्थल पर मौत हो गई। देररात टीम ने बरखा को सेफी नगर से गिरफ्तार किया है। बुधवार को उसे इस मामले में कोर्ट में पेश करेंगे।
मासूम बहनों का परिजन ने किया अंतिम संस्कार मंगलवार को दोनों मासूम बहनों के शव का जिला हॉस्पिटल में पोस्टमॉर्टम हुआ। पिता सोनू, मामा राकेश, दादा बबलू और परिवार के अन्य सदस्य दोनों बेटी को अंतिम संस्कार के लिए घर के लिए निकले। दोनों बच्चों के शव देख मां खुद को रोक नहीं पाई। परिवार के सभी सदस्य रोते हुए विलाप करने लगे। पिपलियापाला िस्थत शमसान में परिजनों ने दोनों मासूम को अंतिम विदाई देते हुए दफना दिया।
बेटे को गोद मे लिए मां विलाप करती रही, कहने लगी दोषी को पुलिस फांसी की सजा दे वहीं इस घटना के बाद से बदहवास मां ममता अपनी दोनों मासूम बेटी को याद कर विलाप करती रही। पूरे समय वे अपने डेढ़ साल के बेटे हर्षित को अपनी गोदी में लेकर घुमती रही। वे पुलिस से विनती करती रही की दोषी बुआ को फांसी को सजा देना। दादी कविता का भी बुराहाल था। परिवार की महिला दोनों को ढांढस बंधाते नजर आई। वहीं मामा राकेश ने बताया, दोनों भांजी शाम होते ही उनके पास िस्थत घर पर पहुंचती थी। सोमवार को दोनों वहां नहीं आई। वहीं पिता भी काम से घर लौटे तो बच्ची उन्हें दादा-दादी की झोपड़ी में सोती मिली। वे अपने बेटे को लेकर घुमने निकल गए। मामा ने बताया की घटना के पूर्व वे घर में बैठकर खाना खाने लगे। हाथ धोने बाहर आए तो दीदी जीजा के घर की तरफ एक घर से दो मंजिला आग की लपटे निकलती देख मदद के लिए भागे। वे वहां पहुंचे तो पता चला की दीदी का घर जलकर खाकर हो गया। बाद में पता चला की झाेपड़ी में दोनों भांजी भी है। मामा ने इशारे करते हुए बताया कि जैसे तैसे झाेपड़ी का शेड हटाया तो दोनों भांजी झुलस चुकी थी। वे उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन बचा नही सके।