एक साल पहले जारी अधिसूचना तकनीकी ई-इंफ्रा नहीं होने से रोकी गई थी। इससे इसमें जमा हो रही राशि का उपयोग नहीं हो रहा था और कारोबारियों के खाते में राशि जमा होने के बाद सीमा शुल्क या सीजीएसटी अलग से जमा करने से वर्किंग कैपिटल प्रभावित हो रही थी।
पिछले दिनों एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री एमपी की बैठक में सीजीएसटी आयुक्त के समक्ष यह मुद्दा उठा था। कारोबारियों का कहना है, कैश लेजर में राशि तो जमा की जा रही है, लेकिन कस्टम के मामले में उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इससे वर्किंग कैपिटल फंसने से नुकसान हो रहा है। 1 अप्रेल से इसका ऑपरेशन शुरू होने से अब पोर्ट पर आए माल या डिस्पेच के लिए कारोबारियों को सीमा शुल्क, सीजीएसटी या अन्य शुल्क चुकाने के लिए बैंक बंद होने पर परेशान नहीं होना होगा। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री एमपी के तरुण व्यास का कहना है, आयुक्त ने सभी इंडस्ट्री को पत्र लिखकर सूचना दी है कि ईसीएल सिस्टम शुरू कर दिया है। इससे एक्सपोर्ट या इंपोर्ट माल के लिए देय शुल्क भी ईसीएल से चुका सकेंगे और माल की आवाजाही आसान होगी। इंदौर में 250 से ज्यादा यूनिट आयात-निर्यात कर रही हैं।
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दो फेज में होगी लागू
यह सुविधा अब भी पूरी तरह लागू नहीं हुई है। इसे दो फेज में शुरू करेंगे। कुछ वस्तु व सेवा सेगमेंट को तकनीकी दिक्कत के कारण मुक्त रखा है। इन्हें दूसरे फेज में मई-जून में शामिल किया जाएगा।
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1 अप्रैल से लागू हुई व्यवस्था
जीएसटी विशेषज्ञ सीए सुनील पी. जैन का कहना है कि, विभाग ने पिछले साल मार्च में अधिसूचना जारी कर धारा-51ए के तहत सीमा शुल्क भुगतान के लिए पूर्व से राशि जमा करने की प्रक्रिया को अनिवार्य किया था, ताकि इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर सिस्टम शुरू हो सके। विभाग का आइटी सेटअप इसके लिए तैयार नहीं था। इसे मार्च-2023 तक शिथिल कर दिया था। 1 अप्रैल से यह व्यवस्था लागू हो गई, अब भी ई-इंफ्रा पूरा नहीं होने से कुछ सेगमेंट को छोड़ा गया है। मई से इसका संचालन होगा।