अब शहर की महिला मैकेनिक इसके बेयरिंग, शॉकअप और हैंडल पर काम कर रही हैं। इससे साइकिल को और अधिक उपयोगी बनाया जा सकेगा। इस साइकिल को बनाने में बांस का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे लोहे और स्टील की आवश्यकता कम होगी। यानी यह साइकिल ईको फ्रैंडली होगी।
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कीमत 20 हजार से कम
बाजार में उपलब्ध बैटरी वाली साइकिल की कीमत 50 हजार रुपए के आसपास है। ऐसे में जो महिलाएं छोटा-मोटा काम करने बाहर जाती हैं, वे इतनी महंगी साइकिल नहीं खरीद पाती हैं। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए इस साइकिल को 20 हजार रुपए के अंदर बाजार में लाने का लक्ष्य रखा है। इससे उन लोगों की जरूरत पूरी होगी, जो कम लागत में परिवहन के साधन की तलाश में हैं।दो साल पहले शुरु हुआ महिला गैराज
महिला मैकेनिक गैराज की शुरुआत करीब दो साल पहले हुई थी। राजेंद्र बंधु बताते हैं कि शहर में एक हजार लोगों पर 700 दो पहिया वाहन हैं और हर साल इनमें 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है। हमने महिलाओं को रोजगार देने इन्हें ट्रेनिंग दी और मैकेनिक के तौर पर कई शोरूम में नौकरी दिलाई। आज गैराज की तीन ब्रांच है, जिनमें 15 महिलाएं काम कर रही हैं। 100 से ज्यादा महिलाओं को नौकरी पर लगवाया है। आइआइटी बॉम्बे से डॉ. सतीश अग्निहोत्री, प्रो. रूपाली और गर्ल्स काउंट नेटवर्क के रिजवान इंदौर आए थे। उन्होंने गैराज का दौरा कर महिला मैकेनिकों की कार्यशैली जानी। उन्हें बताया कि आइआइटी बॉम्बे के मैकेनिकल डिपार्टमेंट की टीम बैटरी वाली साइकिल तैयार कर रही है। अब इस काम में महिला मैकेनिक शिवानी रघुवंशी, सपना जाधव, दुर्गा मीणा और प्राची सोलंकी संस्थान की मदद कर रही हैं।