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इंदौर

संतान की मुराद पूरी होने पर होलकर महाराज ने बनवाया मंदिर, खुद प्रकट हुई थीं देवी

मन्नत पूरी होने पर संतान को लाते हैं लोग

इंदौरApr 04, 2022 / 09:54 pm

deepak deewan

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इंदौर. इंदौर के विख्यात बिजासन माता मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। मान्यता है कि यहां भक्तों की मुराद पूरी होती है। अधिकांश भक्त यहां संतान प्राप्ति की कामना लेकर आते हैं और देवी के नौ स्वरुपों के दर्शन व पूजा कर आशीर्वाद मांगते हैं। यहां दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामना और मान लेकर आते हैं। दावा किया जाता है कि मंदिर में स्थापित नौ देवियां स्वयं-भू हैं।

मंदिर में देवी पूरे नौ रूपों में विद्यमान हैं। यहां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री प्रतिष्ठित हैं। मान्यता के मुताबिक भारत का यह एकमात्र मंदिर है जहां सभी देवियां स्वयंभू हैं। सभी देवियां पहले पिंडी रूप में थीं और श्रृंगार के बाद उनका नया स्वरूप नजर आया। देवियों को रक्त बिजासनी भी कहा जाता है।

होलकर राजा ने यहां संतान प्राप्ति की कामना की थी जो पूरी हो गई- बताते हैं कि पहले यहां देवी का एक छोटा से चबूतरा बना था। होलकर राजा ने यहां संतान प्राप्ति की कामना की थी जो पूरी हो गई. इसके बाद उन्होंने चबूतर के स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। यही कारण है कि आज भी यहां सबसे बड़ी संख्या में भक्त संतान प्राप्ति के लिए ही आते हैं।

मंदिर में बच्चों के पैर बढ़ाने और उनके मुंडन के लिए भी भक्त आते हैं- संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर आनेवाले भक्तों की मन्नत पूरी होने पर वे बच्चे को यहां लाते हैं. मंदिर में बच्चों के पैर बढ़ाने और उनके मुंडन के लिए भी भक्त आते हैं। मंदिर में इसे लेकर विशेष व्यवस्था की गई है। मंदिर में गोद भराई की रस्म भी की जाती है। नवरात्र में आनेवाले भक्तों को गर्मी के कारण परेशानी ना हो इसके लिए मंदिर में टेंट और कालीन की व्यवस्था भी की गई है। मंदिर में महिला और पुरुषों के दर्शन की अलग-अलग लाइन भी बनाई गई है।

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