इंदौर के शासक होलकरों का महल राजबाड़ा होने की वजह से पूरा शहर यहां पर होली खेलने आता था। होलकरों के शासन के समय शहरवासी यहां पर आकर राजा महाराजाओं की होली देखते थे। कुछ लोग यहां पर इनकी होली में भी शामिल होते थे। तभी से यहां पर होली खेलने का ट्रेंड चल रहा है। उस वक्त ही यहां पर होली के चार दिन बार रंगपंचमी की गेर निकलना शुरू हुई जो समय के साथ बढ़ती गई। होली की यह गेर पूरे राजबाड़ा के आस पास परिक्रमा करके महल के सामने गुजरती थी। बाद में भी यही रिवाज चलता रहा और धीरे धीरे पूरा शहर इस गेर में शामिल होने लगा।
इंदौर के लाखों लोग यहां पर रंगपंचमी के दिन एक साथ इकट्ठा होते हैं। रंगपंचमी के गेर में शहर के सभी नेता, समाज और मंच एक साथ आते हैं और एक दूसरे को रंग लगाकर गिले शिकवे दूर करते हैं। इस गेर में बड़ी बड़ी मशीनें होती हैं जो पूरे शहर को तरबतर कर देती हैं। गेर में चलने वाली हर गाड़ी कुछ समय के लिए राजबाड़ा के सामने रुकती है और फिर यह जुलूस आगे बढ़ जाता है।
होली के लिए पूरा इंदौर तैयार हो चुका है। हर गली मोहल्ले में रंगों की दुकानें लगने लगी हैं। बच्चे अभी से पिचकारियां खरीदने में जुटे हुए हैं। इस बार बाजार में गुलाल बम भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह बम ऑर्गेनिक गुलाल से बनता है।