इंदौर हाईकोर्ट के जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ने एलआइसी कर्मचारी को राहत दी। कोर्ट ने डिजिटल जाति प्रमाण-पत्र जमा नहीं कराने पर कर्मचारी को बर्खास्त करने के एलआइसी के एक विवादित आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने इस आदेश को खारिज करते कर्मचारी को दोबारा नौकरी पर रखने को कहा। इसके साथ ही जब्त किए वेतन भत्ते आदि जारी करने के भी आदेश दिए।
बर्खास्त कर्मचारी एलआइसी के इंदौर कार्यालय में सन 1992 से कार्यरत था। उसके खिलाफ गलत जाति प्रमाण-पत्र लगाकर नौकरी पाने की शिकायत की गई थी। इसकी जांच की गई और एलआइसी ने कलेक्टर कार्यालय से कर्मचारी के जाति प्रमाण-पत्र की जानकारी मांगी। कलेक्टर कार्यालय पुराना रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने की बात कही। जांच के दौरान ही शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत वापस ले ली थी।
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इधर कर्मचारी ने नया जाति प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए भी कलेक्टर कार्यालय में आवेदन दे दिया। हालांकि इसी बीच एलआइसी ने उसे नौकरी से हटा दिया। बर्खास्त कर्मचारी ने इस आदेश को कोर्ट में याचिका लगाकर चुनौती दी।
इधर कर्मचारी ने नया जाति प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए भी कलेक्टर कार्यालय में आवेदन दे दिया। हालांकि इसी बीच एलआइसी ने उसे नौकरी से हटा दिया। बर्खास्त कर्मचारी ने इस आदेश को कोर्ट में याचिका लगाकर चुनौती दी।
कर्मचारी का कहना था कि कलेक्टर कार्यालय में पुराने जाति प्रमाण-पत्र का रिकॉर्ड ही नहीं मिल रहा, इसलिए उसे नौकरी से हटाना गलत है। एलआइसी ने कोर्ट में दलील दी कि डिजिटल जाति प्रमाण-पत्र जमा नहीं कराने के कारण उसे नौकरी से निकाला। हाईकोर्ट ने एलआइसी की इस दलील को खारिज कर दिया।