आपको बता दें कि इंदौर में स्थित रणजीत हनुमान मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। दरअसल इस मंदिर के बारे में कहा जाता है यहां स्थापित श्री राम भक्त हनुमान की प्रतिमा कब और कैसे प्रकट हुई ये रहस्य आज भी बरकरार है। इस मंदिर में ज्यादातर वे श्रद्धालु पहुंचते हैं, जो अपने गुप्त शत्रुओं से परेशान रहते हैं। वहीं उन श्रद्धालुओं की संख्या भी यहां कम नहीं है, जो विशेष रूप से भगवान हनुमान जी का आशीर्वाद लेने यहां पहुंचते हैं और अपने कार्यों में सफल होते हैं। भक्तों की इस लिस्ट में कई राजाओं के नाम भी शामिल हैं। रणजीत हनुमान जयंती के अवसर पर हम आपको बता रहे हैं इस चमत्कारी हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करने के रहस्य और चमत्कार…
130 साल पुराना है मंदिर
इंदौर के एक विद्वान पत्रकार श्री रामकृष्ण मुले की एक रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि कोई नहीं जानता कि यहां पर हनुमान जी की प्रतिमा कब और कैसे प्रकट हुई। इसीलिए इस प्रतिमा को स्वयंभू माना जाता है। हां लेकिन मंदिर निर्माण की बात करें तो इस मंदिर का निर्माण 130 साल पहले किया गया था।
अनूठी है प्रतिमा हनुमान जी की यह प्रतिमा
दुनिया भर में सबसे अनूठी है। अक्सर आपने हनुमान जी के हाथों में गदा देखा होगा। लेकिन इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा के हाथ में गदा नहीं बल्कि तलवार और ढाल है और उनके चरणों में अहिरावण पड़ा हुआ है। ऐसे में अनुमान लगाया जाता है कि यह प्रतिमा हनुमान द्वारा अहिरावण को पराजित करने की कहानी कहती है।
मिलता है शत्रु पर विजय का आशीर्वाद
इस अनोखे और चमत्कारी हनुमान मंदिर के साथ राजा की जीत की कहानी जुड़ी हुई है। मान्यता है कि युद्ध में जब एक राजा हारने लगा तो वह भागते हुए भर्तहरी गुफा में पहुंच गया। यहां पर एक महात्मा ध्यान में बैठे हुए थे। राजा बहुत देर तक बैठा रहा। इसके बाद जब महात्मा ध्यान मुक्त हुए तो रोटी देते हुए कहा कि इसके टुकड़े डालते हुए जाना, जहां टुकड़े समाप्त होंगे वहां मंदिर मिलेगा। वहां तुम्हारी सारी परेशानियां दूरी होंगी। यह मंदिर रणजीत हनुमान मंदिर था। वहां पूजा करने से राजा उस युद्ध में जीत गया।
निकाली जाती है मध्यभारत की सबसे बड़ी प्रभात फेरी
मंदिर के मुख्य पुजारी पं. दीपेश व्यास बताते हैं कि कहते हैं कि रणजीत अष्टमी पर निकलने वाली प्रभातफेरी मध्यभारत में निकलने वाली सबसे बड़ी प्रभातफेरी है। इसमें उनके साथ 3 लाख से ज्यादा भक्त शामिल होते हैं।
* प्रभातफेरी महूनाका, अन्नपूर्णा, उषा नगर, गुमाश्ता नगर, स्कीम नंबर 71 से होते हुए फिर से मंदिर प्रांगण में पहुंचती है। यात्रा में स्थानीय भक्तों के साथ ही साधु-संत भी शामिल होते हैं।
* इसके पहले दीपोत्सव का आयोजन होता है। इस अवसर पर मंदिर में 21 हजार दीपों से सजावट की जाती है।
* रथ में विराजित होने वाले विग्रह के साथ 51 हजार रक्षा सूत्रों का अभिषेक होता है।
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