Sawan Somwar महाकाल का अनूठा श्रृंगार, दर्शन के लिए नियत किया यह समय भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ ने यहां आकर भगवान शिव की तपस्या की थी। इसलिए इस स्थान का नाम देवगुराडिय़ा है। इस स्थान को गरुड़ तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में देवी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था।
मौत का मकान: मलबे में दफन चार परिजन, सोती ही रह गईं मां—बेटा और दो मासूम बच्चियां मंदिर में रहता है नाग का जोड़ा
इंदौर शहर से करीब 15 किमी दूर स्थित इस मंदिर में भगवान शिव के प्रिय माने जाने वाले नाग का जोड़ा भी रहता है। कभी कुंड में तो कभी शिवालय में ये नाग-नागिन भक्तों को दर्शन देते हैं। मान्यता है कि इनके दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इंदौर शहर से करीब 15 किमी दूर स्थित इस मंदिर में भगवान शिव के प्रिय माने जाने वाले नाग का जोड़ा भी रहता है। कभी कुंड में तो कभी शिवालय में ये नाग-नागिन भक्तों को दर्शन देते हैं। मान्यता है कि इनके दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शिवलिंग को नुकसान पहुंचाने आए सैनिकों का नागों ने रोक लिया रास्ता कुंड बुझाता है पूरे गांव की प्यास मंदिर के अंदर बना कुंड पूरे गांव की प्यास बुझाता है। इस जलकुंड में सालभर पानी भरा रहता है। मंदिर के अंदर के कुंड के अलावा यहां 5 कुंड और बने हैं। इनका पानी कभी खाली नहीं होता है।