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रत्न और सोने से होता है श्रृंगार
दीपोत्सव के 5 दिनों में भक्त सपरिवार माता की कुमकुम से अर्चना की जाती है। आशीर्वाद के रूप में उन्हें मां के चरणों का श्रीशठकोप सिर पर दिया जाता है। पोषक साड़ी श्रृंगार के साथ रत्न जड़ित आभूषणों और सोने की मालाओं से श्रृंगार करते हैं।
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यह भी है मान्यता
ऐसा कहा जाता है कि, ख्यात संत डोंगरे महाराज एक बार आचार्य रामानुजाचार्य स्वामी, केशवचार्य महाराज के दर्शन के लिए आए थे। उन्होंने जैसे ही भगवती श्रीमहालक्ष्मी के दर्शन किए, उन्हें साक्षात अनुभूति हुई और वो घंटों समाधि में चले गए। दीपावली पर नागोरिया पीठाधीश्वर स्वामी विष्णु प्रपन्नाचार्य महाराज द्वारा मां लक्ष्मी का पूजन कर कमल पुष्प से अर्चना की जाती है।
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