इंदौर। गीता ब्रम्ह विद्या है। हम अहमता और ममता के कारण ही अज्ञानी बने हुए हैं। गीता अज्ञान से मुक्त करती है। मनुष्य को सबसे बड़ा भय मृत्यु और सबसे बड़ा आनंद अमरत्व का होता है। गीता का ज्ञान शोक और मोह से निवृत्ति का सहज साधन है।
संसार का सुख क्षणिक होता है, लेकिन आत्मा का सुख सच्चा है क्योंकि आत्मा कभी नहीं मरती। वेदविहीन विज्ञान के कारण ही विकास के गर्भ से विनाश निकलता है। गीता का ज्ञान आत्मा को परमात्मा से जोड़कर जीवन के संशयों को दूर करता है।
शंकराचार्य व पुरी पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने शुक्रवार को गीता भवन में 58वें अभा गीता जयंती महोत्सव का शुभारंभ करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, भगवान भी चाहे तो किसी की आयु बढ़ाकर, अमृत उंडेलकर या किसी भी तरीके से मृत्यु से मुक्ति नहीं दिला सकते। गीता के आठवें अध्याय में मृत्यु के भय से मुक्त होने के लिए आत्मा की नश्वरता के सिद्धांत को जानना जरूरी है।
अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के स्वामी रामदयाल महाराज की अध्यक्षता और आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के वैदिक मंगलचारण व शंख ध्वनि के बीच शंकराचार्य ने दीप प्रज्ज्वलन कर महोत्सव का शुभारंभ किया। स्वामी रामदयाल महाराज ने कहा, गीता जीने का तरीका सिखाती है। गीता मस्तिष्क के शुद्धीकरण का माध्यम है, जो व्यक्ति को शुद्ध और बुद्ध भी बनाती है और धर्म के लिए युद्ध करने का हौसला देती है। हम सही तरीके से नहीं चले तो पतन होने में देर नहीं लगेगी।
गीता भवन ट्रस्ट अध्यक्ष बनवारीलाल जाजू, मंत्री गोपालदास मित्तल, राम ऐरन, सत्संग समिति के संयोजक रामविलास राठी ने संत-विद्वानों की अगवानी की।विधायक महेंद्र हार्डिया भी मौजूद थे।
वृंदावन के महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती, राजस्थान के शंकरगढ़ से महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश पुरी, नैमिषारण्य के स्वामी पुरुषोत्तमानंद सरस्वती, रायबरेली के पं. रवि शास्त्री, हरिद्वार के स्वामी सर्वेश चैतन्य, डाकोर के स्वामी देवकीनंदन दास, उज्जैन के स्वामी असंगानंद ने दोनों सत्रों में गीता की प्रासंगिकता एवं आज के संदर्भ में उसकी महत्ता प्रतिपादित की। सुबह के सत्र की शुरुआत पं. रसिक बिहारी एवं पं. परसराम शर्मा के भजन-संकीर्तन से हुई।
आज का ज्ञान : आत्मा का सुख सच्चा वेदविहीन विज्ञान विकास का कारण दिमाग को शुद्ध करती है गीता सही तरीके से नहीं जिए तो पतन निश्चित।
आज के कार्यक्रम
शनिवार सुबह 8 बजे से प्रात: कालीन सत्संग में भजन-संकीर्तन के बाद 8.30 बजे गोंडा (उप्र) के पं. प्रहलाद मिश्र रामायणी, 9 बजे आलोट के संत ईश्वरदास, 9.30 बजे लाडनू के संत अमृतराम संबोधित करेंगे। 11 बजे स्वामी जगदीशपुरी एवं 11.30 बजे स्वामी रामदयाल के प्रवचन होंगे।
प्रस्तुत होगा शोध : श्रीलंका में शोध कर रहे अशोख कैथ सुबह 10 से 11 बजे तक रामायण काल के प्रसंगों पर ब्योरा प्रस्तुत करेंगे।
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