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इंदौर

गंगा दशहरा, सतयुग में इसी दिन धरती पर उतरी थी गंगे… 

राह पुराण के अनुसार, गंगा हस्त नक्षत्र में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथी को स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरी थीं। 12 साल बाद इस बार फिर वही योग बन रहे हैं।

इंदौरJun 14, 2016 / 10:37 am

Shruti Agrawal

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इंदौर। गंगा नदी…इतनी पावन है कि इसमें स्नान करते ही सारे पाप धुल जाते हैं, पापी भी निष्कलंक हो जाते हैं। माना जाता है राजा सगर के मृत पुत्रों के उद्धार के लिए गंगा नदी धरती पर अवतरण हुई थीं। धरती पर गंगा के अवतरण की तिथी पर हर साल गंगा दशहरा के रुप में मनाई जाती है। महत्वपूर्ण यह है कि इस बार गंगा दशहरा पर वहीं योग हैं जो सतयुग में गांगा अवतरण के अवसर पर थे।

ऐसे में इस बार गंगा दशहरा का बहुत महत्व है। वराह पुराण के अनुसार, गंगा हस्त नक्षत्र में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथी को स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरी थीं। 12 साल बाद इस बार फिर वही योग बन रहे हैं। हिंदू धर्मगुरुओं के मुताबिक, इस योग में नदी में स्नान करना और दान करना अत्यंत शुभ और फलदायी रहेगा। इस बार दशमी की तिथी मंगलवार सुबह 5.45 मिनिट से बुधवार सुबह 7.35 मिनिट तक रहेगी। मंगलवार को सूर्योदय का समय 5.19 बजे होगा। ऐसे में दशमी का मान मंगलवार को लेते हुए गंगा दशहरा इसी दिन मनाया जाएगा।

पौराणिक कथा- 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा हिमालय और मैना की पुत्री हैं और भगवान विष्णु के अंगूठे से निकलती हैं। राजा सगर के पुत्रों के उद्दार के लिए भागीरथ ने घोर तपस्या के मां गांगा को को धरती पर अवतरण लेने के लिए मना लिया। अवतरण से पहले गंगा ने भागीरथ से कहा, मेरा वेग बड़ा प्रबल है। यदि मैं यूं ही धरती पर अवतरित हो गई तो धरती यह वेग सह नहीं पाएगी। तबाही होगी। सिर्फ शिवशंभू ही हैं जो मेरा वेग सह सकते हैं इसलिए आप जाएं उनसे प्रार्थना करें कि वे मुझे अपनी जटा में शिरोधार्य करें। भागीरथ ने पुनः तपस्या कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया। भोलेनाथ ने भागीरथ की प्रार्थना से खुश होकर गंगा नदी को अपनी जटाओं में स्थान दिया। जिस दिन यह दुर्लभ घटना हुई उसे गंगा दशहरे के रुप में मनाया जाता है।

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गंगा दशहरा में क्या करें-
कहते हैं गंगा दशहरे में गंगा नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। यदि आप गंगा के तीर नहीं पहुंच सकते हैं तो भी आप पुण्य लाभ ले सकते हैं। संस्कृत में एक श्लोक है-
” गंगा च यमुने चेव, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी, जलोस्मिन सन्निधि कुरू।’ 

मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन ही गायत्री मंत्र का अविर्भाव हुआ था। इस दिन गंगा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। संभव हो तो नदी के किनारे 10 दीपक जलाएं और दस वस्तुओं का दान करें। गंगा मां का पूजन करते हुए ऊं नमः शिवाय नारायणे दशहराय गंगाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके बाद भगवान का पूजन करना चाहिए। गंगा दशहरा पर दशहरा पर इस पवित्र नदी में स्नान करने से 10 प्रकार के पाप नष्ट होते हैं। 10 पापों में 3 कायिक , 4 वाचिक और 3 मानिसक पाप होते हैं। 

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