इंदौर

Ganesh Chaturthi 2024 : हीरे की आंख वाले बप्पा के दरबार में आते हैं हजारों भक्त, हर मनोकामना होती है पूरी

Ganesh Chaturthi 2024 : इंदौर स्थित खजराना के गणेश मंदिर को आस्था का केंद्र माना जाता है। देशभर में हिरे की आंख वाले बप्पा नाम से मशहूर इस मंदिर में लोगों का अटूट विश्वास है। ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के समय यहां मांगी गई मुराद जल्दी ही पूरी हो जाती है।

इंदौरSep 07, 2024 / 01:35 pm

Faiz

Ganesh Chaturthi 2024 : देशभर में बप्पा के आगमन से श्रद्धालुओं में खुशी की लहर है। गली-बाजार घर हर जगह दस दिवसीय गणेश चतुर्थी के पर्व मनाने के लिए लोग उत्साह के साथ जुट गए हैं। बात करें मध्य प्रदेश के आर्थिक शहर इंदौर में स्थित खजराना गणेश मंदिर की तो इसे देशभर में आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। गणेशोत्सव के दिनों नें यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। देश भर में हीरे की आंख वाले बप्पा से भक्तों का अटूट विश्वास है। ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के समय यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
खजराना स्थित गणेश मंदिर में विराजमान विघ्नहर्ता की आंखे हीरे से सजी होती थी। ऐसा माना जाता है कि, आज से कई साल पहले कुछ चोरों ने उनकी आंखों में लगा हीरा चुरा लिया था, जिसके बाद कई दिन उनकी आंखों से दूध निकलता रहा।
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पूरी होती है मांगी गई हर मुराद

ये मंदिर अपनी खूबसूरत दीवारों और गेट के लिए भी दुनियाभर में मशहूर है, क्योंकि मंदिर की दीवार को चांदी से बनाया गया है, जिसपर कमाल की नक्काशी की गई है। सालभर यहां भक्त बप्पा के दर्शन के लिए आते रहते है। गणेश चतुर्थी के दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। मंदिर को फूलों से सजा दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि, इस दस दिनों के इस पर्व के दौरान बप्पा से मांगी गई सारी मुरादे पूरी होती हैं।
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रोचक है खजराना गणेश का इतिहास

बताया जाता है कि खजराना गणेश मंदिर का निर्माण 1735 में होल्कर वंश की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था। इसके निर्माण के पीछे भी एक बहुत रोचक कहानी फेसम है। ऐसा माना जाता है कि वैद्य मंगल मूर्ति भट्ट नामक व्यक्ति को सपना आया था जिसमें गणेश जी ने उसे बताया था कि ‘जहां तुम गाय चराने जाते हो वहां मैं हूं, मुझे यहां से बाहर निकालों।’
वैद्य मंगल मूर्ति भट्ट ने यह जानकारी तत्कालीन महारानी अहिल्याबाई होल्कर को दी। भट्ट की बात सुनकर महारानी ने अपने दूत भेजकर यहां से गणेश जी की मूर्ति को निकाला। वैद्य ने इस मूर्ति को एक टीले पर रख दिया, जिसके बाद मूर्ति को उस स्थान से कोई हिला नहीं सका। महारानी ने फिर यहीं मंदिर का निर्माण कराया। ये सारी जानकारी वैध मंगल मूर्ति भट्ट के वंशज पंडित अशोक भट्ट ने दी है।

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