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इंदौर

मृत्यु शैया पर गंगा जल देते हैं, पर पुनरुद्धार को आगे नहीं आते…

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव बोले… रैली फॉर रिवर के लिए सबसे बड़ी चुनौती है आपसी सहमति

इंदौरSep 23, 2017 / 02:20 pm

अर्जुन रिछारिया

Sadguru Jaggi Vasudev

Sadguru Jaggi Vasudev

नितिन चावड़ा@ इंदौर. ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव लग्जीरियस मर्सिडीज जी क्लास ड्राइव करते हुए 6000 किमी का सफर तय कर शुक्रवार सुबह 11 बजे इंदौर पहुंचे। रैली फॉर रिवर के प्रणेता सद्गुरु ने इस मौके पर ‘पत्रिका’ से विशेष चर्चा की। वे बोले, यहां मृत्यु शैया पर गंगा जल दिया जाता है, उसे मोक्षदायिनी माना जाता है। पर बात जब पुनरुद्धार, स्वच्छता की आती है, तो कोई आगे नहीं आता। नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए सोच में बदलाव लाना ही होगा। चर्चा के प्रमुख अंश…
Q. गंगा समेत देश की नदियां प्रदूषित हैं। सरकारी अभियान की नाकामयाबी के बीच समाधान कैसे खोजेंगे?
A. गंगा बेसिन देश के 20 फीसदी हिस्से को कवर करता है। सरकारी योजना स्वच्छता के लिए चलाई जा रही है, जबकि जरूरत पुनरुद्धार की है। सरकार चाहे तो 3 साल की कार्ययोजना से नदियों का प्रदूषण खत्म कर सकती है।
Q. रैली फॉर रिवर का विचार कैसे आया?

A. अधिकांश नदियां साल में तीन से चार महीने ही बहती हैं। भारत में औसतन 45 से 50 दिन बारिश होती है। ६-७ साल में स्थिति और बिगड़ी है। यूनिवर्सिटी ऑफ तमिलनाडु के साथ शोध किया, वैश्विक एक्सपर्ट से विचार साझा किए और रैली का बिगुल फूंका।
Q. अभियान में सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
A. नदियों के पुनर्जीवित करने पर सभी को एकमत करना है। हालांकि हमने 16 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से एमओयू साइन कर समस्या हल करने की कोशिश की है।
Q. मप्र और इंदौर की नदियों के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
A.नर्मदा की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। 58 से 60 फीसदी तक नदी क्षरण, प्रदूषण का शिकार हो चुकी है। 50 साल पहले की तुलना में नर्मदा के आसपास की 90 प्रतिशत हरियाली खत्म होने से यह स्थिति बनी है। प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री ने नर्मदा के लिए प्रयास किए हैं, जिससे लोगों को जोडऩे की जरूरत है। इंदौर की कान्ह को मौजूदा स्थिति में नदी कहना मुश्किल है। सिंहस्थ के दौरान का वाक्या है, शिप्रा के लिए उससे नर्मदा लिंक की तो उसमें कान्ह का पानी मिलने लगा। कान्ह को पुनर्जीवित करने के लिए बड़े प्रयास की जरूरत है।
Q. मिस्ड कॉल के बाद क्या?
A. लोगों को जागरूक करने के लिए मिस्ड कॉल कराए जा रहे हैं। 2 अक्टूबर को दिल्ली में नदियों के पुनरुद्धार की योजना केंद्र सरकार को सौंपेंगे। रैली से जुड़े विभिन्न मुख्यमंत्रियों से रिपोर्ट साझा करेंगे।
Q. क्या पौधरोपण से नदियां पुनर्जीवित हो जाएंगी?
A. नदियों के आसपास 1 किमी क्षेत्र में पौधरोपण के साथ सबसे बड़ा बदलाव खेती में करना चाहते हैं। किसान यदि क्रॉप एग्रीकल्चर से ट्री एंड फ्रूट एग्रीकल्चर की तरफ बढ़ेंगे तो उनकी आय 3 से 8 गुना तक बढ़ जाएगी।
Q. इस खेती के क्या फायदे?
A. देश का 0.05 फीसदी लोग ही रोज फल खाते हैं। बड़ी संख्या में लोग महीने में एक बार फल खा पाते हैं, वह भी केला ही। हमारी योजना है देश के हर गांव में एक एकड़ जमीन पर फलों की खेती हो। 5-6 प्रजाति के क्षेत्रीय और सीजनल फल उगाकर 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों को नि:शुल्क उपलब्ध कराएंगे।
Q. इकोलॉजी और इकोनॉमी का सामंजस्य कैसे बनाएंगे?
A. इकोलॉजी वर्सेस इकोनॉमी पर नहीं बल्कि इकोलॉजी फॉर इकोनॉमी के लिए काम कर रहे हैं। तमिलनाडु में कॉरपोरेट्स इंवेस्टमेंट कर रहे हैं और रिजल्ट भी मिल रहे हैं। मप्र में भी कुछ काम हो रहा है। नर्मदा में 40 प्रकार की मछलियां होती हैं, जो प्रदूषण का शिकार हैं। देश की नदियों में 1000 प्रकार की मछलियां हैं, जिन्हें बेहतर इकोलॉजी की जरूरत है। देश की 65 प्रतिशत जनता आज भी खेती पर निर्भर है। ये लोग नदियों का सही इस्तेमाल करें तो भारतीयों के पास पूरी दुनिया को खाना खिलाने की ताकत है।
Q. सरदार सरोवर जैसे बड़े बांधों की जरूरत को कैसे देखते हैं?
A. सरदार सरोवर जैसे बड़े बांधों की बात है, तो यह सर्वाइवल के समय योजना में आया था, जो अब पूरा हो रहा है। अब बड़े बांधों की जरूरत नहीं है, लेकिन इसका विरोध भी नहीं होना चाहिए।
Q. क्या रोहिंग्या मुसलमानों पर सरकार का रुख सही है?
A. सरकार का रुख सही है। आप लोग ही बताएं, यदि आपके घर कोई मेहमान आता है, तो मेहमाननवाजी की जाती है। और यदि कोई जबरदस्ती घुसने की कोशिश करता है, तो उसे दुत्कार ही मिलती है।

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