
यू पसंद आ गया दिल्ली में बैठे अफसरों को इंदौर का फॉमूला, अब होगा देशभर में लागू
मोहित पांचाल
इंदौर। लोकतंत्र के महायज्ञ को सम्पन्न करवाने में देश का करोड़ों रुपया लगता है, चाहे लोकसभा-विधानसभा हों या स्थानीय निकाय चुनाव हों। बूथ की संख्या कम करके कैसे बचत की जा सकती है, ये फॉर्मूला इंदौर जिला निर्वाचन ने दिया है। ये फॉर्मूला अब देशभर में लागू होने जा रहा है।
चुनाव संपन्न करवाने में सरकारी अमले को पसीने छूट जाते हैं, वहीं पैसा भी खूब खर्च होता है। चुनाव में होने वाले खर्च में बचत कैसे की जा सकती है, इसको लेकर इंदौर जिला निर्वाचन ने एक फॉर्मूला तैयार किया, जिस पर केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने भी मुहर लगा दी है। जिला निर्वाचन अधिकारी लोकेश जाटव व सहायक निर्वाचन अधिकारी रजनीश श्रीवास्तव ने विधानसभा चुनाव बाद निर्वाचन की समीक्षा की थी।
उस दौरान मतदान केंद्रों को लेकर मंथन करने का फैसला किया गया। साथ में आंकड़ा निकाला गया कि एक मतदान केंद्र, जहां तीन से ज्यादा बूथ होते हैं। उनमें सबसे कम मतदाता वाले बूथ कौन से हैं। इसको लेकर जब छन्नी लगाई तो बड़ी संख्या में ऐसे बूथ सामने आए। बारीकी से विधानसभावार रिपोर्ट बुलाई गई तो चौंकाने वाले आंकड़े मिले।
केन्द्रीय अफसर भी चकित
लोकसभा चुनाव में इंदौर जिले में कुल 2881 बूथ थे, जिसमें से 542 बूथ कम करने प्रस्ताव तैयार किया गया। ये प्रस्ताव राज्य निर्वाचन से केंद्रीय निर्वाचन तक पहुंचा। इसे देखकर केंद्रीय निर्वाचन के अफसर भी चकित रह गए। उन्हें भी समझ आ गया कि देशभर में ऐसा किया जा सकता है। उन्होंने सभी जिलों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि वे बूथों की संख्या कम करके प्रस्ताव भेजें। खास बात ये है कि इससे पहले विधानसभा चुनाव के बाद जिला निर्वाचन ने 241 के करीब बूथ भी कम किए थे, जिस पर केंद्रीय निर्वाचन कार्यालय ने हरी झंडी दे दी थी। उसके बावजूद इतने बूथ कम करना, उनके लिए शोध का विषय हो गया।
चार नंबर में सर्वाधिक बूथ कम
जिला निर्वाचन ने जिले की नौ विधानसभाओं को लेकर मंथन किया था। देपालपुर, सांवेर व महू विधानसभा में ज्यादा हेरफेर नहीं हो पाया। चूंकि दूर-दूर होने की वजह से एक मतदान केंद्र पर ज्यादा बूथ नहीं मिले। शहरी क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया गया। सबसे ज्यादा 92 बूथ चार नंबर विधानसभा में कम किए गए।
Published on:
16 Oct 2019 10:40 am
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