इंदौर

एक किस्साः कांग्रेस ज्वाइन कर एक IAS ऑफिसर कैसे बन गया ‘चीफ मिनिस्टर’

एक किस्साः मध्यप्रदेश के आइएएस अफसर का…। जो कलेक्टर का पद छोड़ बन गया मुख्यमंत्री…।

इंदौरApr 29, 2023 / 01:30 pm

Manish Gite

Ajit Pramod Kumar Jogi, Former Chief minister of Chhattisgarh

साल 1985 का वक्त था। इंदौर शहर के सबसे पॉश इलाके के रेसिडेंसी एरिया में कलेक्टर साहब बंगले में आराम कर रहे थे। तभी फोन की घंटी बजी और बंगले पर तैनात कर्मचारी दौड़ते हुए फोन तक पहुंचा। किसी ने कलेक्टर साहब के बारे में पूछा, तो कर्मचारी ने कह दिया- साहब सो रहे हैं। थोड़ी देर बाद फोन लगाइएगा। तभी सामने से आदेश दिया गया कि साहब को तुरंत उठाइए और हमारी बात कराइए। कर्मचारी को कुछ अटपटा-सा लगा और वो साहब को नहीं चाहकर भी उठा देता है। कलेक्टर साहब फोन तक पहुंचते हैं। दूसरी तरफ से एक शख्स कहता है – तुम्हारे पास ढाई घंटे हैं…। राजनीति में आना है या कलेक्टरी ही करना है। थोड़ी देर में दिग्विजय सिंह जी आपके पास आ रहे हैं, उन्हें अपना फैसला बता देना। यह फोन प्रधानमंत्री कार्यालय से आया था। तब राजीव गांधी पीएम थे और उनके पीए वी जॉर्ज बात कर रहे थे।

 

patrika.com पर प्रस्तुत है अजीत जोगी से जुड़े दिलचस्प किस्से…। 29 अप्रैल को अजीत जोगी की जयंती है…।

दिग्विजय खड़े थे सामने

उस समय कांग्रेस के युवा नेता दिग्विजय सिंह कलेक्टर साहब के बंगले में पहुंच गए। सामने खड़े थे कलेक्टर अजीत जोगी। दिग्विजय के पहुंचने से पहले ही एक आइएएस ऑफिसर राजनीति में जाने का मन बना चुका था। इसके बाद जोगी ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली और इंदौर कलेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया।

 

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ऐसे शुरू हुई राजनीति

अजीत जोगी को थोड़े ही दिन में कांग्रेस की वेलफेयर ऑफ शेड्यूल्ड कास्ट एंड ट्राइब्स का सदस्य बनाया गया। इसके बाद वे राज्यसभा सांसद भी बन गए। जानकार बताते हैं कि उस वक्त पुराने लागों को हटाकर राजीव गांधी नई टीम बना रहे थे। इसी सिलसिले में एमपी के लिए दिग्विजय सिंह और आदिवासी क्षेत्र छत्तीसगढ़ के लिए उन्हें युवा शक्ति की तलाश थी। अजीत जोगी की छवि एक तेज तर्रार आइएएस आफिसर के रूप में स्थापित हो चुकी थी। लिहाजा वे लोगों में काफी लोकप्रिय हो गए थे। जोगी शहडोल और सीधी जिले में काफी समय कलेक्टर भी रहे। सीधी जिले में ही चुरहट क्षेत्र भी आता है, जहां अर्जुन सिंह का अच्छा खासा प्रभाव था। तब राजनीति में आते ही अर्जुन सिंह के दबदबे को जोगी भांप चुके थे और उन्हें गाडफादर बना लिया। जोगी खुद को पिछड़ी जातियों के नेता मानने लगे थे। एक बार तो दिग्विजय के खिलाफ ही हो गए थे, जो उन्हें राजनीति में लेकर आए थे। बताया जाता है कि जब मध्यप्रदेश में 1993 में सत्ता परिवर्तन हुआ और दिग्विजय का नाम मुख्यमंत्री के लिए लिया गया तब अजीत जोगी भी एमपी के सीएम पद के दावेदारों में शामिल थे।

 

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छत्तीसगढ़ के पहले सीएम बने जोगी

साल 2000 के पहले छोटे-छोटे राज्य बनाने की मांग उठी थी। तब तीन नए राज्य बनाए गए थे। उनमें से मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बना 90 विधायक छत्तीसगढ़ के दायरे में आ गए, वो चले गए। वहां कई गुट थे, श्यामाचरण शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल, राजेंद्र शुक्ल, मोतीलाल वोरा। अब मुखिया बनने की लड़ाई थी। टूट-फूट की तैयारी भी थी। मांग उठी कि आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया जाए। इसके बाद कई विवादों के बाद अजीत जोगी की लॉटरी लग गई। अजीत जोगी 31 अक्टूबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनाए गए।

 

 

कांग्रेस से टूट गया नाता

2003 की बात है जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास सीटें कम थीं। बीजेपी को 50 सीटें मिलीं थीं, जबकि जोगी के पास सिर्फ 37 सीटें थीं। उस समय एक स्टिंग ऑपरेशन में दावा किया गया था कि जोगी ने पैसा देकर बीजेपी के विधायकों को खरीदने की कोशिश की थी। स्टिंग के बाद जोगी को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने जोगी को पार्टी से बाहर कर दिया। इसके बाद समय गुजरा और 6 जून 2016 को जोगी ने अपनी अलग पार्टी बना ली, जिसका नाम था छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस। अब इस पार्टी में जोगी के बाद उनके पुत्र और पत्नी रेणु जोगी हैं। 29 अप्रैल 1946 में बिलासपुर के एक छोटे से गांव में जन्मे अजीत जोगी का निधन 29 मई 2020 को हो गया था।

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