उन्होंने बताया कि, इससे पहले कि, मौके पर मौजूद लोग कुछ समझ पाते अचानक आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। 51 फीट के दीप स्तंभ में लगी आग के नीचे वाले हिस्से में तो आग पर मंदिर के कर्मचारियों ने काबू पा लिया। लेकिन ऊपरी हिस्से में आग नहीं बुझ सकी, जिसके चलते दमकल दल को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची दमकल दल की टीम ने करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
यह भी पढ़ें- एक चोर ऐसा भी : बचने के लिए निकाला CCTV फिर भी पकड़ा गया, देखें वीडियो
एक दर्जन से अदिक दीपक खंडित
पंडित गोस्वामी के अनुसार, इस घटनातक्रम में करीब एक दर्जन से अधिक दीपक टूट (खंडित) हो गए हैं, जिन्हें बनाने के लिए राजस्थान के कारीगरों को सूचित कर दिया गया है। फिलहाल जब तक दीप स्तम्भ दोबारा बन नहीं जाते तब तक प्रतीकात्मक रूप से स्तंभ के नीचे दीप जलाए जाएंगे। आपको बता दें कि, मंदिर में स्थापित 51 फीट ऊंचे 1100 दीपों के दो दीप स्तंभ हैं। इनमें से एक स्तंभ में आगजनी की घटना हुई है।
यह भी पढ़ें- दंतेवाड़ा नक्सली हमले के बाद मध्य प्रदेश अलर्ट, गृहमंत्री ने छत्तीसगढ़ सरकार को बताया जिम्मेदार
दीप स्थंभ का इतिहास
आपको बता दें कि, हरसिद्धि माता मंदिर के प्रांगण में स्थापित दो स्तंभ अति प्राचीन हैं। मान्यता है कि, इन्हें राजा विक्रमादित्य ने यहां स्थापित करवाया था और उस ज़माने से इसमें दीपक जलते आ रहे है। आज भी इन दीप स्तंभों को रोशन करने के लिए तीन – तीन महीने की वेटिंग रहती है। 51 फीट ऊंचे स्तंभ में दीपों को जलाने में रोजाना 60 लीटर तेल का इस्तेमाल किया जाता है।