must read : प्रेमी के साथ रहने पर अड़ी बीवी, पति ने दो बच्चों को भी उसे सौंपा और कर ली खुदकुशी टीआई भंवरकुआं संजय शुक्ला ने बताया, वनवानी एग्रो लिमिटेड के परिसर में बनी बिल्ंिडग में मजदूरों के परिवार रहते हैं। यही रहने वाले रामचंद्र यादव का बेटा कान्हा (6) रविवार सुबह 8 बजे फैक्ट्री परिसर में बड़ी बहन खुशी (10) के साथ खेल रहा था। फैक्ट्री दो शिफ्ट में चलती है। रात 10 बजे की शिफ्ट सुबह 8 बजे खत्म होती है। रविवार को फैक्ट्री बंद रहती है। शिफ्ट खत्म होने पर कर्मचारी अमर कम्प्रेशर से सफाई कर रहा था, तभी खेलते हुए अचानक कान्हा कम्प्रेशर पाइप के सामने आ गया। कम्प्रेशर का प्रेशर तेज होने से हवा उसके मुंह में चली गई। इसके बाद वह रोने लगा, उसे वहीं शौच भी हो गई। पेट तेज दर्द होने लगा तो उसकी चीख सुनकर मजदूर वहां आए और बच्चे को घर ले गए। हवा सीधे मुंह में पहुंचना चर्चा का विषय रहा कि ऐसा कैसे हो सकता है।
पिता रामचंद्र उसे लेकर एमवाय अस्पताल पहुंचे, जहां कुछ देर बाद कान्हा की मौत हो गई। परिवार मूलत भीकनगांव के ग्राम टेमला का रहने वाला है। रामचंद्र भी इसी फैक्ट्री में मजदूरी करता है। घटना के बाद माता-पिता बेसुध हो गए। रविवार दोपहर एमवाय अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजन को सौंपा, जिसे लेकर वे अंतिम संस्कार के लिए गांव चले गए। पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू की है। अमर ओडिशा का रहने वाला है। घटना के बाद वह डरकर भाग गया। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। जांच के बाद केस दर्ज होगा।
must read : भोजपुरी एक्ट्रेस को भेजा तलाकनामा, लिखा- अभी दो और भेजूंगा, महिला बोलीं- दूसरी शादी की फिराक में है… पहले पता लगा बच्चे ने पाइप डाला घटना की जानकारी पर भंवरकुआं पुलिस फैक्ट्री पर पहुंची, तो पहले पता चला कि कान्हा के साथ खेल रही किसी बच्चे ने कम्प्रेशर का पाइप मुंह में डाल दिया था। जांच में ये बात गलत निकली। बहन खुशी ने सुपर वाइजर द्वारा पाइप से हवा मुंह में डालने की बात कही। हालांकि परिजन ने ही कहा कि बच्ची छोटी है, उसकी बात पर क्या यकीन करें। पुलिस ने जब शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों से जानकारी ली तो घटना सामने आई।
must read : आधी रात को कार में थे युवक-युवती, पुलिस पीछे लगी तो दौड़ाई गाड़ी, पकड़ाए तो बताई ये कहानी फेफड़े, आहार नली के साथ अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा इस तरह की हरकत बच्चों के साथ व्यस्कों के लिए भी खतरनाक है। 44 एमएम के फोर्स के साथ शरीर में श्वास पहुंचती है, कृत्रिम तरीके से श्वास देने के लिए वेंटिलेटर का भी प्रेशर मेंटेन करना होता है, इसके बढऩे पर फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। कंप्रेशर से निकलने वाली हवा का प्रेशर काफी ज्यादा होता है। बहुत ज्यादा प्रेशर से हवा शरीर में जाने पर वह आहार नली से होते हुए पेट और श्वास नली से सीधे फेफड़ों तक पहुंचेगी। फेफड़ों को नुकसान होने के साथ पेट व छाती को अलग करने वाला डाइफ्राम भी ऊपर आ जाएगा। इससे सांस लेना संभव नहीं हो पाएगा। इस तरह शिकार व्यक्ति की जल्द मौत हो जाएगी।
डॉ. शरद थोरा, रिटायर डीन एमजीएम व वरिष्ठ शिशुरोग विशेषज्ञ
डॉ. शरद थोरा, रिटायर डीन एमजीएम व वरिष्ठ शिशुरोग विशेषज्ञ