इंदौर

डिजिटल अरेस्ट के दौरान क्या-क्या हुआ ? पीड़ित ने बताई हर बात, गंवाए हैं 33 लाख रूपए

आपबीती-1: पत्रिका में पढ़िए ठगों के हाथ जीवन की कमाई लुटा चुके रिटायर्ड अफसर का दर्द ताकि हर उम्र के लोग समझें ये ‘खेल’

इंदौरDec 02, 2024 / 01:35 pm

Shailendra Sharma

कृष्णपाल सिंह चौहान
patrika raksha kavach: इन दिनों डिजिटल अरेस्ट की वारदात लगातार बढ़ रही हैं। यह एक साइबर स्कैम है। इसमें साइबर फ्रॉड करने वाला गिरोह आपको अरेस्ट होने का डर दिखाता है और आपकी जमा पूंजी, मेहनत की कमाई अपने बैंक खाते में ट्रांसफर करवा लेता है। डिजिटल अरेस्ट से बचना बहुत मुश्किल काम है, लेकिन यदि आप थोड़े भी सजग हैं और जागरूक हैं तो साइबर ठग आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इंदौर में डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुए एक सीनियर सिटीजन रिटायर्ड अधिकारी ने पत्रिका ने इस वारदात से जुड़ी अहम जानकारी साझा की जो हर किसी को जानना बेहद जरूरी है।

डिजिटल अरेस्ट की पूरी कहानी पीड़ित की जुबानी

‘मैं गणेश चतुर्थी पर स्वास्थ्य कारणों से घर पर था। अचानक सुबह मोबाइल की रिंग बजी। बात की तो आवाज आई- आपके नाम से मलेशिया का पार्सल बुक हुआ है, जिसमें आपका आधार कार्ड इस्तेमाल किया गया है। कस्टम ने वो पार्सल जब्त किया है। एयरपोर्ट कस्टम अधिकारी आपसे बात करना चाहते हैं। आपको मालूम है पार्सल में क्या है? मैंने कहा, नहीं। ये पार्सल मेरा नहीं है। ठग बोला- आपको जानना है, क्या है इसमें… जाली पासपोर्ट, एटीएम कार्ड, 140 ग्राम एमडी ड्रग्स आदि। यह सुनते ही मैं घबरा गया। इसके बाद ठग बोला- आपकी कॉल नारकोटिक्स में ट्रांसफर कर रहे हैं। वहां से थोड़ी देर बाद आपको कॉल आएगा, बात कर लेना।

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एक घंटे बाद वाट्सऐप कॉल आया। ठग कहने लगा- आपके नाम से प्रकरण दर्ज हुआ है। हम आपके नाम का अरेस्ट वारंट जारी कर रहे हैं। आप सफाई में क्या कहना चाहते हैं? मैंने बात करने से इनकार किया तो ठग कहने लगा कि आपके खाते में गलत लेनदेन हुआ है। वेरिफिकेशन के लिए हम कॉल सीबीआइ को ट्रांसफर कर रहे हैं। आपके खाते से अनैतिक गतिविधियां हुईं हैं। फिर पूछा कि कहां हैं आप? जैसे ही मैंने घर पर कहा तो फर्जी अधिकारी बने ठगों ने गोपनीयता की शपथ दिला दी, बोले- आपसे जो बातें हो रही हैं, ये पत्नी-बच्चों को बिल्कुल नहीं बताओगे। इतना डर दिखाने के बाद कहा कि कल आपको सीबीआइ कोर्ट में पेश होना है, आपका गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। यह सुनते मैंने कहा कि सीनियर सिटीजन हूं, नहीं आ सकता। इस पर ठगों ने नई चाल चली। कहने लगे कि हम आपको विकल्प देते हैं। वाट्सऐप पर ऑनलाइन वीडियो कॉल पर आएं।

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मैं समझ गया कि मामला गड़बड़ है। मैं फोन काटने की तैयारी में था कि ठग बोला- आपके कितने बैंक खाते हैं? उनमें कितना बैलेंस है। अब इन पैसों की जांच होगी। पैसा ट्रांसफर करना होगा, जिसे 4 से 5 दिन में लौटाएंगे। इसके बाद ठगों ने जितने भी डिपार्टमेंट के नाम लेटर मोबाइल पर भेजे, वो सभी हूबहू असली लग रहे थे। इसी चक्कर में मैं उनकी बातों में फंसता चला गया। ठगों को असली अफसर मान कर उनके कहने पर बैंक चला गया। उनके बताए बैंक खाते में लाखों रुपए आरटीजीएस कर दिए। इसके बाद भी उन्होंने फोन कट नहीं किया। फोन चालू रखने को कहा। रात 10 बजे फोन बंद हुआ, इसके पहले उन्होंने मुझसे गोपनीयता भंग न करने की बात कही। सुबह 6 बजे फिर ठगों ने कॉल किया और चार खातों से करीब 33 लाख रुपए विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर लिए। ठगों ने मुझे कार्रवाई के नाम पर लगातार 2 दिन फोन पर चारदिवारी में अरेस्ट रहने को कहा। केवल रात 10 से सुबह 6 बजे फोन काटने की मोहलत मिलती। जब तक मुझे मामला समझ आया, लाखों रुपए की ठगी हो चुकी थी।
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हम उस दौर में कर्मचारी रहे, जब मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे। जब मोबाइल आए तो हमने उसका इस्तेमाल केवल जरूरी कार्य करने के लिए किया। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से दूरी बनाए रखी। ओटीपी किसी से शेयर नहीं करना ये बात पता थी, लेकिन इस आयटम (डिजिटल अरेस्ट) को समझ नहीं पाया। पूरे 33 लाख रुपए गंवा दिए। फिर समझ आया कि जागरुकता की कमी से इस अनूठी वारदात का ग्राफ बढ़ा है। ठगी के नए-नए हथकंडों में फंसकर लोग अपनी मेहनत की कमाई गंवा रहे हैं।’

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सीनियर सिटीजन का संदेश


पीड़ित अधिकारी का कहना है कि हर व्यक्ति को साइबर ठगी के इस नए हथकंडे को समझना चाहिए। उन्होंने बताया, “मैंने कभी ऑनलाइन लेनदेन नहीं किया, ओटीपी भी नहीं दिया, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण ठगी का शिकार हो गया। अगर लोगों में जागरूकता होगी, तो वे इस जाल में नहीं फंसेंगे।”
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