– कृषि भूमि को विकसित प्लॉट बताकर रजिस्ट्री कर दी गई।
– संस्था का मूल रिकॉर्ड न तो पदाधिकारियोंं के पास है, ना ही सहकारिता विभाग के पास।
– अध्यक्ष रहते समीर खान ने जमीन केशव नाचानी को बेचकर रजिस्ट्री कर दी। समीर के पास जमीन की मूल रजिस्ट्री नहीं थी, फिर भी रजिस्ट्रार विभाग ने जमीन की रजिस्ट्री केशव नाचानी के नाम कर दी।
– व्यवसायिक नक्शा पास करने का आवेदन अध्यक्ष ने नगर निगम के कॉलोनी सेल को किया, वहां से टीएंडसीपी को भेज दिया गया और उन्होंने नक्शा पास कर दिया। प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
– जमीन का डायवर्शन कराने के लिए आवेदन देकर एसडीएम न्यायालय से प्रक्रिया की जाती है। डायवर्शन शुल्क भी जमा करना होता है, लेकिन ऐसा न हुआ। केशव नाचानी की ओर से प्रशासनिक अफसर को दिए एक आवेदन पर ही सारा काम हो गया। करोड़ों का लोन पास कर दिया गया।