इन दोनों कक्षाओं की परीक्षा को लेकर अफसर कितने गंभीर रहे हैं इसका पता 30 मार्च को ही चल गया था। सामग्री वितरण में ही गड़बड़ी उजागर हो गई थी। उर्दू और मराठी भाषा के प्रश्न पत्र ही नहीं दिए गए। इतना ही नहीं परीक्षा के पहले दिन ही लिफाफे में पेपर कम निकले थे। तब शिक्षकों ने फोटो कॉपी कराकर काम चलाया। दूसरे दिन विज्ञान के पेपर के बजाए बच्चों को ङ्क्षहदी का पेपर थमा दिया। अफसर परीक्षा को लेकर कितने गंभीर थे इसी बात से पता चल जाता है कि इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी किसी प्रकार का कोई एक्शन तक नहीं लिया और न ही लापरवाही को लेकर जिम्मेदारों ने कोई कार्रवाई की। वहीं दूसरी गड़बड़ी परीक्षा पहले दिन भी सामने आई। कक्षा पांचवीं और आठवीं का ङ्क्षहदी भाषा का पेपर था, लेकिन इस दिन पेपर ही कम निकले। शिक्षकों को दौड़ लगानी पड़ी और फोटो कॉपी कर विद्यार्थियों को पेपर दिए गए तब कहीं जाकर परीक्षा हुई। गड़बड़ी और लापरवाही यहीं नहीं रुकी। इसके बाद सीधा विज्ञान विषय का पेपर था। जहां जिले के कई संकुलों में परीक्षा के दौरान विज्ञान विषय के बजाए लिफाफे में ङ्क्षहदी का पर्चा निकला। अफसरों ने अपनी नाकामी छुपाते हुए जैसे-तैसे परीक्षा आयोजित कराई।