आज सुबह 6.30 बजे बायपास से लगे माचला गांव की धरती कांप उठी। उस दौरान अधिकतर ग्रामीण तो सो रहे थे लेकिन डेरी संचालित करने वाले अपने काम पर व्यस्त थे। डेरी संचालक महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि बेटा वीरेंद्र व कर्मचारी अनिल कटारे डेरी में दूध निकालने तो कैलाश मामा गोबर बाहर करने का काम कर रहे थे। डेरी के पतरे थर्राने लग गए, दीवारों में कंपन होने लगा। इससे डरकर सभी डेरी से बाहर आ गए। ऐसी ही स्थिति सामने की डेरी पर भी महसूस की गई। उसके संचालक रोहित चौधरी व उनके कर्मचारी भी दौड़कर बाहर आए, तब जाकर अहसास हुआ कि भूकंप का झटका आया था। कुछ ही सेकंड के लिए ये महसूस किया गया।
घटना के बाद ठाकुर व चौधरी गांव के हाल जानने के लिए भी निकले लेकिन वहां सबकुछ सामान्य था। ये खबर तहसीलदार महेंद्र गौड़ को लगी तो उन्होंने तुरंत अधिनस्थों को मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए। आरआई रवींद्र मंडलोई व पटवारी मुकुंद हरदेनिया ने माचला पहुंचकर निरीक्षण किया। भूकंप आने और कोई नुकसानी नहीं होने की सूचना बड़े अधिकारियों को दी। इधर, प्रशासन अब भूकंप की तीव्रता नापने के लिए भू गर्भ सर्वेक्षण एवं अनुसंधान केंद्र से संपर्क कर रहा है।
सात साल पहले भी लगे थे झटके
सात साल पहले इंदौर की धरती हिल गई थी। शहर में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.2 आंकी गई थी। झटके महसूस होने के बाद शहर की लगभग सभी बहुमंजिला इमारतें खाली कराई गई थी। आरएनटी मार्ग, इंडस्ट्री हाउस से लेकर विजय नगर तक के पूरे क्षेत्र में लोग ऑफिसों से बाहर निकल आए थे।
सात साल पहले इंदौर की धरती हिल गई थी। शहर में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.2 आंकी गई थी। झटके महसूस होने के बाद शहर की लगभग सभी बहुमंजिला इमारतें खाली कराई गई थी। आरएनटी मार्ग, इंडस्ट्री हाउस से लेकर विजय नगर तक के पूरे क्षेत्र में लोग ऑफिसों से बाहर निकल आए थे।