आपको बता दें कि ये मामला साल 2019 का है, जब दिगंबर जैन समाज के 256 सदस्य शिप्रा एक्सप्रेस ट्रेन में इंदौर से धनबाद तक रिजर्वेशन कराया था। इन सभी को 22 जनवरी 2019 की रात करीब 11.30 बजे इंदौर स्टेशन से बैठना था। सभी यात्री तय समय पर इंदौर स्टेशन पहुंचे और अपनी रिजर्व सीटों पर यात्रा संयोजक राहुल सेठी ने बताया कि सभी यात्री अपनी-अपनी सीटों पर बैठे थे कि अचानक उत्तर प्रदेश-बिहार के युवाओं की भीड़ अचानक स्टेशन पर आई और जबरन रिजर्वेशन वाले डिब्बों में आ घुसी। यही नहीं, उन्होंने सीटों पर बैठे दिगंबर समाज के सदस्यों को बलपूर्वक उठा दिया। यात्रियों ने उन्हें समझाया कि ये उनकी रिजर्व सीटें हैं तो युवाओं ने अपशब्द कहने के साथ मारने की धमकी तक दे डाली।
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सेठी ने ये भी बताया कि हमारी ओर से इस मामले की शिकायत रेलवे के अधिकारियों से भी की गई, लेकिन रेलेव ने इसपर उदासीन रवैय्या अपनाते हुए मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। इसपर हमने जिला उपभोक्ता आयोग में रेलवे के खिलाफ परिवाद दायर किया। हमारी ओर से आयोग को बताया गया कि रेलवे की लापरवाही के चलते 256 यात्री रिजर्वेशन कराने के बावजूद आरामदायक यात्रा नहीं कर सके।
उन्होंने बताया कि रिजर्व कोच की सीटों जबरन आकर बैठे युवाओं ने टायलेट तक पर कब्जा जमा लिया था। उनके साथ कई बुजुर्ग यात्री भी शामिल थे। रास्ते में युवा शराब और सिगरेट का सेवन भी करते चल रहे थे। असुविधा की वजह से कुछ यात्रियों को यात्रा बीच में ही निरस्त करनी पड़ी और वो सभी उज्जैन में ही ट्रेन से उतरकर वापस लौट गए।
सेठी ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा में की गई चूक को गंभीर मानते हुए जिला उपभोक्ता आयोग ने रेलवे को आदेश दिया कि वो 30 दिन के भीतर ट्रेन में सफर कर रहे सभी 256 यात्रियों को पांच-पांच हजार रुपए राशि का क्षतिपूर्ति के तौर पर भुगतान करे। इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत दिनांक से 8 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना होगा। इसके अलावा परिवाद व्यय के रूप में 10 हजार भुगतान भी करना होगा।