इंदौर. देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में पीएचडी व एमफिल के लिए होने जा रही डीईटी (डॉक्टरल इंट्रेंस टेस्ट) में इस बार बड़े बदलाव लागू किए जा रहे हैं। पहली बार जवाबों को चुनौती देने के लिए आपत्ति दर्ज कराने की व्यवस्था है लेकिन, इसमें आवेदक को निश्चित राशि चुकाना होगी। एक आपत्ति के लिए ५०० रुपए राशि वसूलने का प्रस्ताव तैयार किया है।
पिछले महीने हुई कर्मचारियों की हड़ताल के कारण पीएचडी की डीईटी एक बार टल चुकी है। अब ये परीक्षा १३ मई को कराई जाएगी। कई विषयों में सीटों से कम आवेदन मिलने पर यूनिवर्सिटी ने आवेदन की लिंक एक बार फिर शुरू की थी। अंतिम तिथि तक पीएचडी व एमफिल के लिए कुल ३६८७ आवेदन मिले है। इनमें ६३६ एमफिल के भी शामिल है। परीक्षा में गड़बड़ी की गुंजाईश खत्म करने के लिए सभी विषय के पेपर पांच-पांच सैट में बनाने का निर्णय हो चुका है। परीक्षा से ठीक पहले किसी एक सैट की परीक्षा होगी। इस बार मुख्य रिजल्ट से पहले मॉडल ऑन्सरशीट जारी होगी। इसमें किसी भी जवाब पर आपत्ति दर्ज कराने का मौका दिया जाएगा। यूनिवर्सिटी का दावा है कि इस प्रक्रिया को शामिल करने से पारदर्शिता बढ़ेगी। हालांकि, यूनिवर्सिटी ने एक जवाब पर आपत्ति के लिए ५०० रुपए फीस वसूले जाने का प्रस्ताव तैयार किया। एक से ज्यादा जवाबों पर आपत्ति होने से ये फीस बढ़ती चली जाएगी।
इधर, आवेदकों ने मॉडल ऑन्सरशीट का स्वागत किया लेकिन, आपत्ति की मोटी फीस से वे सहमत नहीं है। दरअसल, एमपी पीएससी में पहले से इस तरह की व्यवस्था चलती आ रही है। इसी साल से पीएससी ने राज्य सेवा परीक्षा के एक जवाब के लिए सौ रुपए शुल्क रखा था। भारी विरोध के कारण पीएससी को घोषणा करना पड़ी कि जिनकी आपत्तियां सही पाई जाएगी उन्हें राशि लौटाएंगे।
मैनेजमेंट में ५६४, संस्कृत में सिर्फ १ दावेदार डीईटी प्रभारी प्रो.विजयबाबू गुप्ता ने बताया, इस बार भी मैनेजमेंट में सबसे ज्यादा आवेदन हुए है। पीएचडी के लिए ४६८, एमफिल के लिए १०४ व एमफिल व पीएचडी दोनों के लिए ६९ आवेदन है। कॉमर्स में पीएचडी के लिए ३०० और एमफिल के लिए ५९ आवेदन आए। कम्प्यूटर साइंस में एमफिल कोर्स नहीं है। इसमें पीएचडी के लिए २७२ ने आवेदन किया। संस्कृत में पीएचडी के लिए एक भी आवेदन नहीं आया। एमफिल के लिए सिर्फ एक ही फॉर्म जमा हुआ है।
पारदर्शिता बढ़ाने के लिए डीईटी के रिजल्ट से पहले मॉडल ऑन्सरशीट जारी कर आपत्तियां दर्ज कराने का मौका देंगे। इससे गड़बड़ी की आशंका बिलकुल खत्म हो जाएगी। हर आपत्ति के लिए ५०० रुपए फीस का विचार कर रहे हैं।
– प्रो.नरेंद्र धाकड़, कुलपति
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