
दलित बस्ती पर दबंगों का हमला : दो सौ से अधिक लोग पहुंचे... 30 परिवारों ने भागकर बचाई जान
इंदौर। खंडवा रोड के दतौदा गांव के दबंगों ने दलित बस्ती पर हथियारों के साथ हमला कर दिया। उनकी संख्या सैकड़ों में थी। जो भी सामने आया, उसके साथ मारपीट की। चार साल की बच्ची से लेकर गर्भवती तक को नहीं छोड़ा। एक युवक को ऐसा चाकू मारा कि आंख बाहर आ गई। दलित परिवारों ने खेत-खेत दौड़कर जैसे-तैसे अपनी जान बचाई।
एक तरफ इंदौर पूरी दुनिया के नक्शे में चमक रहा है तो दूसरी तरफ सिमरोल के दतौदा गांव में शर्मनाक और दर्दनाक घटना हो गई। गांव के दबंगों ने रात 9.30 बजे दलित रविदास बस्ती पर हमला बोल दिया। उनकी संख्या सैकड़ों में थी, जिसका नेतृत्व भाजपा नेता व जनपद सदस्य प्रहलाद बबरीवाल और उनसे जुड़े हुए नरेंद्र मुंडेल, कैलाश सर्वा और बबलू मुंडेल कर रहे थे। लोगों के पास में देसी कट्टे, तलवार, चाकू और कुल्हाडी सहित कई हथियार थे।
बस्ती में पहुंचने के बाद दबंगों ने जमकर कोहराम मचाया। उनको आता देख दलितों ने अपने घरों के दरबाजे बंद कर लिए, लेकिन कुल्हाड़ी मारकर उन्हें तोड़ दिया। घर से निकालनि कालकर उन्हें मारा-पीटा गया। जिनके घरों में पीछे दरवाजे थे, वे जैसे-तैसे निकलकर भागे लेकिन कुछ लोग हाथ आ गए। उन्हें बेरहमी से मारा गया। बबरीवाल के निशाने पर शंकरलाल चौहान और उनका परिवार था।
शंकरलाल की जमकर पिटाई की गई। उस दौरान घर पर मौजूद गर्भवती अनिता को पीटा गया। अनिता ने जैसे-तैसे अपनी चार साल की बेटी हिमांशी को लेकर खेत तरफ दौड़कर जान बचाई। अर्जुन देवड़ा पर चाकू से ऐसा हमला किया कि उसकी आंख बाहर आ गई। इधर, दिनेश चौहान, गोकुल सोलंकी, सुरेंद्र सोलंकी और किशोर चौहान को भी चोट आई। ये लोग भीड़ की पकड़ में आ गए थे जबकि बस्ती के बाकी लोग भागने में सफल रहे। दबंगों ने घरों में घुसकर जमकर तोडफ़ोड़ की। टीवी, फ्रीज सहित अन्य सामान को फोड़ दिया।
क्यों हुआ विवाद?
दलित बस्ती पर हमले के पीछे विवाद की कहानी ये सामने आई है कि भाजपा नेता बबरीवाल के यहां शंकरलाल चौहान मजदूरी करता है। उसने 2200 रुपए एडवांस ले रखे थे। कुछ कारण से एक-दो दिन वह काम पर नहीं जा सका, जिसकी वजह से बबरीवाल नाराज हो गए। कल कहासुनी हो गई थी। उससे बबरीवाल नाराज थे, जिसके बाद रात को हमला हो गया।
नकदी और गहने लूटे
बस्ती पर हमला होने के बाद दलित जान बचाकर भागने लगे। भीड़ ने घर में घुसकर तोडफ़ोड़ तो की ही, साथ में कुछ घरों से नकदी और जेवर भी ले गए। इसकी शिकायत दो पीडि़त परिवारों ने की। कहना है कि 30 और 50 हजार
रुपए और गहने लूटे गए हैं। हालांकि पुलिस ने अब तक लूट का मुकदमा दर्ज नहीं किया है।
भैया हमको बचा लो...
दबंगों ने जैसे ही बस्ती पर हमला किया, वैसे ही दलित परिवारों ने दलित नेता मनोज परमार को फोन लगाया। कहना था कि भैया हमारी बस्ती पर हमला हो गया है, सबको मार देंगे। हमको बचा लो। परमार ने तुरंत पुलिस को सूचना देने
का कहा तो जवाब था कि पुलिस के साथ ए्बुलेंस को फोन लगा दिया लेकिन अब तक नहीं आई। इस पर उन्हें 100 डायल व सीएम हेल्पलाइन में फोन लगाने के साथ ध्यान रखने को कहा। परमार करीब 10.30 बजे मौके पर पहुंचे
जब तक महू एसडीएम, एएसपी, सीएसपी सहित पुलिस फोर्स पहुंच गया था।
दो मुकदमे दर्ज
सिमरोल पुलिस ने शंकरलाल चौहान की रिपोर्ट पर प्रहलाद बबरीवाल, नरेन्द्र, कृष्णा, कैलाश, बबलू, सुरेश, घनश्याम, सीताराम, पवन, रवि, रामेश्वर रोठिया, जितेन्द्र सिलवाडिया व अन्य 80 पर मुकदमा दर्ज दिया। सभी के खिलाफ धारा 307, 452, 323, 506, 294, 147, 148, 336 भादंवि 3(2)(वी-ए) एससी-एसटी एक्ट लगाया गया है।
दूसरी तरफ नरेंद्र पिता मदनलाल मुंडेल की रिपोर्ट पर किशोर, दिनेश, मांगीलाल, सुरेंद्र, नरेंद्र, गोकुल, जीवन, विकास, विशाल, विनोद, शंकरलाल और राजेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। उन पर धारा 294, 323, 506, 147, 336, 427 भादंवि में केस दर्ज किया गया।
पहले भी हो चुके हैं बवाल
- तीन दशक पहले राज्यसभा सदस्य रहे राधाकिशन मालवीय के बेटे की बरात में दबंगों ने हमला कर दिया था। मालवीय ने सीआरपीएफ लगाकर बरात निकाली थी।
- दलित परिवार ने गणपति स्थापना की थी, जिस पर पिता-पुत्र का सिर फोड़ दिया गया था। हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ था, 17 आरोपी आज भी जमानत पर हैं।
- दो साल पहले दलित की बरात पर हमला कर दिया गया था। दूल्हे पर ट्रैक्टर चढ़ाने जैसी घटना हो चुकी है।
- विधानसभा चुनाव में उषा ठाकुर का प्रचार करने गए मनोज परमार पर भी हमला हो गया था।
Published on:
27 May 2022 11:28 am
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