इंदौर। कोरोना सिर्फ फेफड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि शरीर के अन्य अंगों के लिए भी खतरनाक है। कई संक्रमितों में संक्रमण के 20 से 25 दिन बाद असामान्य रूप से खून के थक्के (Blood Clotting) जमने की समस्या आ रही है। इसे वीनस थ्रोम्बस थ्रोम्बोसिस (धक्का) (thrombosis) कहा जाता है। ये थक्का हार्ट में बहुंचने पर हार्ट फैल और ब्रेन में पहुंचने पर पैरालिसिस का शिकार बनाता है। शहीर के अन्य हिस्सों में पहुंचने पर उन्हें काटने की नौबत भी आ रही है। कोरोना की मात देने वालों में हार्ट अटैक और पैरालिसिस के सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं।
यह भी पढ़ेंः पत्रिका की पहल: सांसों को बचाने के लिए ऑक्सीजन कंसट्रेटर बैंक बनेगा
यह भी पढ़ेंः 18 प्लस लोगों को 5 मई से फ्री लगेगी वैक्सीन
थ्रोम्बस के कारण काटना पड़ा पैर
37 साल के एक युवक का थ्रोम्बस के कारण पैर काटना पड़ा। वह कोरोना पाजीटिव था। उसका पैर सुन्न होने के कारण काला पड़ने लगा था। सर्जन डा. तरुण गांधी और फिजियोथैरेपिस्ट डा. अरुण मिश्रा ने थ्रोम्बस की आशंका जताई है, जो जांच में सही साबित हुई।
खून पताल करने की दवा
चेस्ट फिजिशियन डा. सूरज वर्मा कहते हैं कि कोरोना के इलाज के दौरान सही मात्रा में खून पतला करने की दवाई नहीं देने से ऐसा होता है। मगर कुछ मामलों में दवाइयां भी प्रभारी नहीं होती हैं।