इंदौर

100 साल पुराने मकान पर हो रहा था निर्माण, शिकायत हुई, लेकिन सोए रहे अफसर

लिखित में हो चुकी शिकायतें, जर्जर मकानों पर निगम नहीं करता कार्रवाई, अफसर हर बार केवल सूची जारी कर देते हैं

इंदौरApr 02, 2018 / 10:00 pm

amit mandloi

 इंदौर. 80 साल पुरानी बगैर बीम-कॉलम की एमएस होटल बिल्ंिडग पर नियम विरुद्ध पक्के निर्माण की सजा 10 मासूम लोगों ने असमय मौत के रूप में भुगती है। अफसर अब इसकी शिकायत नहीं होने की बात कहकर खुद को बचा रहे हैं, लेकिन इस तरह के निर्माणों को लेकर निगम के अफसरों का रवैया एमटी क्लॉथ मार्केट के मकान नंबर 196 (पुराना) 209 (नया) से साफ है। ये बिल्डिंग होल्करकालिन और बगैर बीम-कॉलम की है और दीवारों में दरारें पड़ रही हैं। इसके मालिक प्रहलाद सिंगी के निधन के बाद उनके वारिसों ने इसकी छत पंकज परमार को बेच दी थी। इस हिस्से पर खरीदारों ने निर्माण कर यहां हॉल बना लिया। इसकी शिकायत भी कलेक्टर, महापौर, नगर निगम आयुक्त को हुई लेकिन उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही नहीं इसको लेकर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की गई तो वहां पर निगम के अफसरों ने जवाब लिखकर भेज दिया कि यहां निर्माण रुकवा दिया गया, जबकि यहां निर्माण जारी है। बताया जा रहा है कि सरवटे के हादसे के बाद इसे सही बताने के लिए इसकी दीवारों को रंगरोगन कर दिया गया है, जबकी दरारों को भी पुट्टीसे भर दिया गया है।
जनता ने पत्रिका को बताए शहर के खतरनाक मकान
21 नरसिंह बाजार इंदौर

होल्करकालिन समय में बना ये मकान काफी जर्जर हालत में हैं। इसके कई हिस्से काफी कमजोर हो चुके हैं। यही नहीं इनकी सबसे उपरी मंजिल से कई बार पत्थर भी गिरते रहे हैं।
58 अहिल्या पलटन
कई वर्षो से इंदौर नगर निगम की खतरनाक मकानों की सूची में शामिल ये मकान जर्जर हालत में है। इसमें अभी भी लोग रह रहे हैं। लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
133 सी/4 तिलकनगर
दी टेक्सटाइल्स वर्कस को-ऑपरेटीव हाउसिंग सोसायटी की ये 50 साल पुराना भवन काफी खतरनाक हालत में हैं। इसको लेकर नगर निगम के जोनल अधिकारियों और अन्य लोगों को आसपास के रहवासियों ने कई मर्तबा शिकायत की, लेकिन अधिकारी उनकी बात को सुनने के लिए भी तैयार नहीं हो रहे हैं। जबकि इसके आसपास कई लोग परेशान हो रहे हैं।
स्नेहकमल अपार्टमेंट, एलआईजी
एलआईजी थाने के पीछे पानी की टंकी के पास आई-180 ए नंबर की ये बिल्डिंग काफी पुरानी है।इसके सामने की ओर के कॉलम काफी बूरी हालत में है। बिल्डिंग की दीवारों में जगह-जगह दरारें आ चुकी है। इसमें कोचिंग भी लगती है, जिसमें कई बच्चे पढऩे आते हैं, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं देता है।
17 बड़वाली चौकी
अजीज बिल्डिंग की ये बिल्डिंग काफी खतरनाक हो चुकी है। लेकिन इसमें उसके बाद भी 8 दुकानें और 4 परिवार रहते हैं। खतरनाक हो चुकी इस इमारत को भी नगर निगम के अधिकारी नजरअंदाज कर रहे हैं।
११-१२ नंदलालपुरा
मित्रमंडल बैंक की बिल्डिंग से लगी हुई ये दो इमारतें मेनरोड से तो काफी साफ दिखती है, लेकिन पिछले हिस्से में पूरी बिल्डिंग गिर चुकी है। बिल्डिंगों का बड़ा हिस्सा धाराशायी होने के साथ ही गर्डर हवा में झूल रहे हैं। बरसात में इसका पिछला हिस्सा धंस भी गया था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
405 (नया) जवाहर मार्ग
शहर के सबसे व्यस्तम इलाके जवाहर मार्ग पर नंदलालपुरा चौराहे के पास स्थित ये बिल्डिंग मद्रासी चक्कर बीडी की बिल्डिंग के नाम से फेमस है। तीन मंजिला ये इमारत पूरी तरह से खंडहर में तब्दिल हो चुकी है, लेकिन उसके बाद भी इसे तोडऩे के लिए निगम ने कोई कदम नहीं उठाया।
८७ जवाहरमार्ग
शहर के सबसे व्यस्तम चौराहे में शामिल नंदलालपुरा चौराहे से गौतमपुरा की ओर जाने वाले हिस्से के चौराहे पर ही ये मकान है। इसका सडक़ की ओर का हिस्सा बारिश में भी गिर गया था। इसमें अभी भी पांच दुकानें चल रही हैं।
166 मकान खतरनाक
हादसे के बाद जागे नगर निगम ने सोमवार को एक बार फिर से शहर के खतरनाक मकानों की सूची जारी की है। निगम ने पूरे शहर में 166 खतरनाक मकानों को चिन्हित किया है। निगम के हिसाब से इन मकानों में रहना खतरनाक है। इसलिए इन्हें रहने के लिए अनुपयुक्त घोषित किया गया है।
 

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