आपको बता दें कि पिता-पुत्र के खिलाफ कोर्ट ने 17 साल पुराने हत्या के प्रयास के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। 10 मई को बम पिता पुत्र को इंदौर जिला कोर्ट के समक्ष पेश होना था। लेकिन, वो फरार हो गए, इसपर कोर्ट की ओर से उनके खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया गया है।
यह भी पढ़ें- बड़ी खबर : ग्वालियर पहुंचा माधवी राजे सिंधिया का पार्थिव देह, श्रद्धांजलि देने उमड़ा जन सैलाब, देखें Video कांग्रेस का 56 सदस्यीय दल बम की करेगा तलाश
मामले को लेकर कांग्रेस नेता देवेंद्र सिंह यादव का कहना है कि, 56 सदस्य दल बनाकर अक्षय बम की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की मदद करेंगे। देवेंद्र यादव ने बताया कि पुलिस के पास बल की कमी होने के चलते कांग्रेस अब पुलिस की मदद करने के लिए मैदान में उतरेगी और अक्षय बम के संबंध में पुलिस को जानकारी देगी। जहां पर भी अक्षय बम कांग्रेस की 56 सदस्य दल को दिखाई देगा, तुरंत मौके से इंदौर पुलिस कमिश्नर और स्थानीय पुलिस को सूचना दी जाएगी। साथ ही आने वाले दिनों में अक्षय बम अगर नहीं मिलता तो शहरभर में अक्षय बम के लापता वाले पोस्टर लगाए जाएंगे।
पासपोर्ट निरस्त करने की मांग
इसके साथ साथ ही अक्षय बम के विदेश भागने के आसार को लेकर बम के पासपोर्ट को भी निरस्त करने की मांग कांग्रेस नेता देवेंद्र सिंह यादव करते हुए नजर आ रहे हैं। गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद से लगातार अक्षय कांति बम की तलाश करने की बात पुलिस कहती हुई नजर आ रही है। लेकिन अक्षय बम को ही पुलिस की तरफ से सुरक्षा प्रदान की गई थी जो अब तक पुलिस ने नहीं हटाई है।
कोर्ट ने पिता-पुत्र के खिलाफ जारी किया गिरफ्तारी वारंट
बता दें कि इंदौर जिला कोर्ट ने अक्षय बम और उनके पिता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। 17 साल पुराने मामले में उनके खिलाफ धारा 307 बढ़ाई गई थी, जिसके बाद उन्हें 10 मई को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन वे नदारद रहे। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा की 30 नंबर कोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी थी।
17 साल पुराने मामले में फरार
दरअसल अक्षय कांति बम पर जमीनी विवाद में 4 अक्टूबर 2007 को यूनुस खान नामक शख्स पर हमला, मारपीट और धमकाने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। उस समय यूनुस पर गोली भी चलाई गई थी, लेकिन खजराना पुलिस ने तब एफआईआर में हत्या के प्रयास की धारा नहीं जोड़ी थी। लेकिन जिस दिन अक्षय बम ने इंदौर लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरा उसी दिन कोर्ट ने 17 साल पुराने मामले में उनपर आईपीसी की धारा 307 लगा दी। उन्हें इस मामले में 10 मई को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन वो फरार हो गए।