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इंदौर

गुंडागर्दी करने वाले भाजपा विधायक को जेल पहुंचाने तक डटा रहा ये शख्स, महापौर ने बंद किया फोन

मामले में पल-पल की खबर लेते रहे और तब-तक निगम से नहीं गए, जब-तक आकाश को जेल नहीं भेज दिया गया।

इंदौरJun 27, 2019 / 05:29 pm

हुसैन अली

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गुंडागर्दी करने वाले भाजपा विधायक को जेल पहुंचाने तक डटा रहा ये शख्स, महापौर ने बंद किया फोन

इंदौर. दो नंबरी भाजपाइयों के साथ तीन नंबर के विधायक आकाश विजयवर्गीय पर नगर निगम आयुक्त आशीष सिंह भारी पड़े। जर्जर मकान को तोडऩे पहुंचे निगम अफसरों के साथ मारपीट करने वाले विधायक आकाश के खिलाफ कार्रवाई को लेकर उन्होंने पूरे दिन ऑफिस में बैठकर मोर्चा संभाला। वहीं घटना के बाद अफसरों और कर्मचारियों का मनोबल भी बढ़ाया। मामले में पल-पल की खबर लेते रहे और तब-तक निगम से नहीं गए, जब-तक आकाश को जेल नहीं भेज दिया गया। निगम के इतिहास में आशीष सिंह चौथे ऐसे आयुक्त हैं, जो दो नंबरियों पर भारी पड़े हैं। इनके पहले निगमायुक्त रहते हुए आकाश त्रिपाठी, पी. नरहरि और मनीष सिंह ने भी दो नंबरियों की दंबगई के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी।
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पहला विवाद आकाश त्रिपाठी से : इनके कार्यकाल में जंजीरवाला चौराहा पर बनी वेस्टसाइड मल्टी को लेकर तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय से विवाद हुआ था। आवासीय की जगह व्यवसायिक निर्माण होने पर त्रिपाठी ने नक्शा नामंजूर कर दिया था। यह बात विजयवर्गीय को पसंद नहीं आई और उन्होंने अपील कमेटी की बैठक बुलवाकर कम्पाउंडिंग कर दी। इससे नाराज होकर त्रिपाठी ने नाराज फाइल फेंक दी थी। इसके बाद विजयवर्गीय और निगमायुक्त में लंबे समय तक रार चली।
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दूसरा विवाद पी. नरहरि से : विजयवर्गीय के महापौर रहते पेंशन कांड भी हुआ था। उसे तत्कालीन निगमायुक्त नरहरि ने उजागर किया था। इस कांड के उजागर होने के बाद दोनों के बीच काफी विवाद हुआ था और नरहरि को गनमैन रखकर काम करना पड़ता था। इतना ही नहीं वर्तमान में एमआईसी मेंबर चंदूराव शिंदे ने नरहरि का तबादला होने के बाद विनोद शर्मा के आयुक्त बनकर आने पर फटाके फोड़े थे।
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तीसरा विवाद मनीष सिंह से : रेडीसन चौराहे पर दो नंबरी खेमे से जुड़ी पार्षद सरोज चौहान के समर्थकों द्वारा तत्कालीन अपर आयुक्त रोहन सक्सेना को चांटा मारने के बाद मनीष सिंह ने दो नंबरियों के खिलाफ मोर्चा खोला और कार्रवाई करवाई। सरोज सिंह पर प्रकरण दर्ज हुआ और उन्हें भी जेल जाना पड़ा था। दो नंबरी पार्षदों ने निगम सम्मेलनों का बहिष्कार तक किया, लेकिन मनीष सिंह झुके नहीं।
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आशीष सिंह सब पर भारी : अब वर्तमान आयुक्त आशीष सिंह ने सीधे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर वार किया है। उनके बेटे और तीन नंबर से विधायक आकाश विजयवर्गीय की गुंडागर्दी को करारा जवाब दिया। जेलरोड स्थित गंजी कम्पाउंड के जर्जर मकान को तोडऩे पहुंचे बिल्डिंग इंस्पेक्टर धीरेंद्र बायस और बिल्डिंग अफसर असीत खरे के साथ आकाश की मारपीट के बाद सिंह ने मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने आकाश के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव और एडीजी वरूण कपूर से बात की। दफ्तर से खुद पूरे मामले पर नजर रखी, ताकि आकाश को कहीं से कोई राहत न मिले। सिंह रात करीब 8 बजे निगम मुख्यालय से रवाना हुए।
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ऑफिस के बाहर डटे रहे सीएसआई

सिंह के ऑफिस के बाहर निगमकर्मियों का जमावड़ा हो गया। इसके साथ ही कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। सिंह के ऑफिस के बाहर निगम स्वास्थ्य विभाग के सीएसआई भी दोपहर से रात ८ बजे तक डेरा डाले बैठे रहे, ताकि कोई घटना होने पर तत्काल संभाला जा सके।
निगम में दो नंबरियों की दादागीरी

– महापौर रहे विजयवर्गीय के कार्यकाल में निगम परिसर में तत्कालीन सिटी इंजीनियर अशोक बैजल की उनसे ही जुड़ी पूर्व पार्षद सुगन चौहान ने चप्पलों से पिटाई की थी।
– पूर्व महापौर डॉ. उमाशशि शर्मा का दो नंबरी पार्षदों से कई बार विवाद हुआ।

– भाजपा सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री होने के बाद विजयवर्गीय ने तत्कालीन महापौर कृष्णमुरारी मोघे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, जिससे उनके इस्तीफे तक की नौबत आ गई थी। मोघे के खिलाफ दो नंबरी भाजपा पार्षदों ने भी झंडा उठा रखा था।
– रेडीसन चौराहे पर चांटाकाड के बाद से महापौर मालिनी गौड़ और दो नबंरी भाजपा नेताओं के संबंध में खटास आ गई है।

महापौर हुईं नॉट रीचेबल… उठ रहे सवाल

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नगर निगम अफसरों की पिटाई के बाद महापौर की चुप्पी पर कई सवाल उठ रहे हैं। दो नंबरी खेमे से जुड़ी पार्षद के समर्थक द्वारा रेडीसन चौराहे पर तत्कालीन अपर आयुक्त को चांटा मारने के बाद महापौर ने निगम अफसरों का साथ दिया था। अब, जब भाजपा विधायक ने निगम अफसरों को पीटा, तो उन्होंने मामले से दूरी बनाने के साथ मौन साध लिया। 28 जून 2016 को चांटा कांड के बाद काफी बवाल मचा था, क्योंकि पार्षद चौहान सहित उनके पति और समर्थकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाने के साथ जेल यात्रा करवा दी थी, जबकि निगम में भाजपा की परिषद होने के साथ प्रदेश में सरकार भी भाजपा की थी। दो नंबरी विधायक रमेश मेंदोला से लेकर एमआईसी मेंबर चंदूराव शिंदे और राजेंद्र राठौर व अन्य भाजपा पार्षदों ने कार्रवाई को रुकवाने का खूब प्रयास किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। कारण महापौर मालिनी गौड़ ने निगम अफसरों का साथ दिया और दो नंबरी भाजपा पार्षद पर कार्रवाई करवाई। इसके बाद महापौर गौड़ और दो नंबरियों के बीच राजनीतिक खाई आ गई, जो आज तक नहीं भर पाई। जब आकाश ने निगम अफसरों के साथ मारपीट की, तो गौड़ ने इस पूरे मामले से दूरी बनाने के साथ चुप्पी साध ली। पूरे घटनाक्रम पर उनका कोई बयान नहीं आया। मीडिया ने उनका पक्ष जानना चाहा, तो मोबाइल बंद कर लिया। मोबाइल चालू होने के बाद उठाया नहीं।

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