कलेटर मनीष सिंह ने कल गृह निर्माण संस्था की जमीनों की खरीद-फरोख्त करने वालों की कमर तोडऩे का एक जोरदार आदेश जारी किया। ये आदेश हीना पैलेस कॉलोनी और श्रीराम गृह निर्माण संस्था को लेकर है। जालसाज मद्दा ने संस्था से करीब आठ हेक्टेयर जमीन प्रशासनिक, सेक्टर उद्यान, वाणिज्यिक, सड़क व सामान्य उपयोग के लिए थी। संस्था का भी तर्क था कि इसका उपयोग आवासीय नहीं होना है, इसलिए जमीन बेची जा रही है।
बकायदा उसके लिए सहकारिता विभाग ने अनुमति भी दे दी थी लेकिन एक बड़ा खेल था, जिससे जालसाज भी अनजान थे। सिंह के आदेश से उनके नीचे की 19.8 एकड़ जमीन खिसक कर सरकारी हो गई। बकायदा जमीन पर गरीब व कमजोर वर्ग के लिए सुराज कॉलोनी विकसित करने का प्रस्ताव भी सरकार को भेज दिया ताकि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की घोषणा अनुरूप गरीबों को छत मिल सके। गौरतलब है कि पिछले दिनों जमीन बचाने के लिए मद्दा ने इसी जमीन को लेकर मुख्यमंत्री चौहान सहित तमाम जवाबदारों को पत्र लिखा था, जिसकी कलाकारी का खुलासा न्यूज टुडे ने सबसे पहले किया था।
ऐसे समझें सरकारी होने का खेल
वर्ष 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी समाजवाद की परिकल्पना के चलते सीलिंग एक्ट लाईं थीं। जिनके पास ज्यादा जमीन थी, उनकी जमीन सरकार ने गरीब और कमजोर वर्गों के लिए ले ली थी। उसमें जमीन मालिकों को धारा-6 में जमीन का विवरण पेश करना था। उसके सामने आने पर सरकार तय कर रही थी कि कितनी सरकारी घोषित करना है। शहरी सीलिंग एक्ट में धारा-20 का एक प्रावधान भी था। उसमें ये था कि जमीन मालिक खुद बता दे कि वह गरीब व कमजोर वर्गों के लिए जमीन का उपयोग करेगा।
इसका लाभ इंदौर के सैकड़ों जमीन मालिकों ने लिया। उसमें सबसे ज्यादा संख्या खजराना से थी। अधिकतर ने गृह निर्माण संस्था को जमीन बेचने का सौदा करना बताया। संस्था का उद्देश्य बिना घर वालों को प्लॉट उपलब्ध कराना था। इसके जरिए जमीन मालिकों ने जमीन तो बेच दी लेकिन गृह निर्माण संस्थाओं पर जमीन के जालसाजों का कब्जा हो गया। श्रीराम गृह निर्माण संस्था भी उनमें से एक थी। उसने अपनी छह हेक्टेयर गैर आवासीय भूमि मद्दा को बेच दी। ऐसी ही जमीन हरियाणा गृह निर्माण सहित दो अन्य संस्थाओं की जमीन भी थी। इन जमीनों पर जादूगरी करते हुए अवैध हीना पैलेस कॉलोनी काटना बता दी गई। बाद में अवैध को निगम से वैध करा दिया गया।
जालसाजों में मचा हड़कम्प
कलेक्टर के इस नए दांव से जमीन के जादूगरों में हड़कम्प मच गया है। बॉबी छाबड़ा, दीपक मद्दा सहित कई जालसाजों का अप्रत्यक्ष रूप से गृह निर्माण संस्थाओं पर कब्जा है। शहरी सीलिंग एक्ट की धारा-20 का खेल उजागर होने के बाद ऐसी कई जमीनें हैं, जिनकी खरीद-फरोख्त हो गई। जालसाजों ने अपने नाम करा दी या उन्होंने किसी को बेच दी। वे सभी लूटने की कगार पर आ गई। इधर, प्रशासन अब छूट लेने वाली सारी जमीनों की जानकारी निकाल रहा है।