बायपास-रिंग रोड के बीच बड़ा इलाका घूमते-घूमते चितचोर भटक गया और नवलखा बाग में पहुंच गया। यहां से कुछ ही दूरी पर िस्थत भंवर कुवा पर रंगों का भंवर कुछ अजब सा था। केसरबाग से केसर के रंगों की खूश्बू , मधु की मिठास, दो जीतू की जंग के बीच जयपाल की जुगाड़ ने होली को दिलचस्प बना दिया। बना दिया है। सभी अपने अपने रंगों की पिचकारिया छोड़ रहे हैं। क्योंकि यहां पर रंगों की तरह मतदाता भी विविधता लिए है।
इस विविधता को देखते-देखते चितचोर राउ गोल चौराहे पर उलझ गया, गोल-गोल घूमते हुए इंदौर के आसपास गांव की फिजा में घुले रंग के आनंद में मगन हो गया। मऊ में उषा की किरण, दरबार की दुनियादारी, देपालपुर में पटेलों के रुतबे का रंग तो सांवेर में पेलवानों के पेलवानी रंगों की पिचकारियां चलती नजर आई। चितचोर का मन चौपालों पर अष्ट-चंग-पे खेल रहे लोगों में रम गया।
……क्योंकि सभी रंगभरी गुलेल पर गुब्बारे चढ़ा कर आसमान में रंग बिखेर रहे है। वोटर भी खूब इन रंगों का आनंद ले रहे हैं। चुनावी घोषणाओं के रंगों की डूबकी के बीच कौन सा रंग भाएगा बस यही तो समय के रंगों का खेला है…….?
इस विविधता को देखते-देखते चितचोर राउ गोल चौराहे पर उलझ गया, गोल-गोल घूमते हुए इंदौर के आसपास गांव की फिजा में घुले रंग के आनंद में मगन हो गया। मऊ में उषा की किरण, दरबार की दुनियादारी, देपालपुर में पटेलों के रुतबे का रंग तो सांवेर में पेलवानों के पेलवानी रंगों की पिचकारियां चलती नजर आई। चितचोर का मन चौपालों पर अष्ट-चंग-पे खेल रहे लोगों में रम गया।
……क्योंकि सभी रंगभरी गुलेल पर गुब्बारे चढ़ा कर आसमान में रंग बिखेर रहे है। वोटर भी खूब इन रंगों का आनंद ले रहे हैं। चुनावी घोषणाओं के रंगों की डूबकी के बीच कौन सा रंग भाएगा बस यही तो समय के रंगों का खेला है…….?