चेक बाउंस का केस लगाया
राजस्थान पत्रिका प्राइवेट लिमिटेड की ओर से कोर्ट में एक परिवाद दायर किया गया था। कंपनी के अखबार पत्रिका को पलासिया क्षेत्र में बांटने के लिए मौर्य ने एजेंसी ली थी। मौर्य कंपनी से उधार में अखबार लेकर बांटता था। उधारी के एवज में उसने कंपनी को 31 मार्च 2012 को 2 लाख 95 हजार 784 रुपए का चेक दिया था। बैंक में लगाने पर चेक अनादरित हो गया था, जिसके बाद राजस्थान पत्रिका प्रालि की ओर से समय सीमा में कोर्ट में चेक बाउंस का केस लगाया था। 12 साल चले इस केस में कोर्ट ने फैसला देते हुए मौर्य को 6 माह के सश्रम कारावास की सजा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने चेक की राशि पर 9 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से ब्याज की राशि के साथ 6 लाख 31 हजार 721 रुपए एक माह की अवधि में चुकाने के लिए भी आदेश जारी किए हैं।
कोर्ट ने कहा- यह विश्वसनीयता की क्षति
कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी की है कि अभियुक्त ने परिवादी कंपनी को चेक देकर उसे लगभग 12 साल से अधिक समय तक धनराशि से वंचित रखते हुए आर्थिक क्षति कारित की है। ऐसे व्यक्तियों के कारण परक्राम्य लिखितों की विश्वसनीयता भी क्षति कारित हो रही है। इसे आर्थिक संव्यवहार के संबंध में उचित संदेश देने वाला तथ्य नहीं कहा जा सकता है। ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन और आदेशों के तय सिद्धांत के तहत मौर्य द्वारा किए गए अपराध को लेकर किसी तरह की उदारता दिखाए जाने के बजाय समानुपातिक दंड से दंडित किया जाना न्यायोचित है।