इस मामले में उत्तर प्रदेश के गृह मंत्रालय से इन आरोपियों के संबंध में पूरी जानकारी मांगी गई है। जब मंदसौर के इन आरोपियों के नाम सामने आए तो पता चला कि सभी आरोपी चाहे वह अफसर हों या फिर कर्मचारी सभी का मंदसौर से अच्छी पोस्ट के साथ कहीं और ट्रांसफर हो चुका है। कोई इंदौर में तो कोई भोपाल में है।
रतलाम डीआईजी ने भेजी सारी जानकारी
इन सभी आरोपियों के बारे में जानकारी मांगने पर रतलाम के डीआईजी ने इन सभी की पोस्टिंग और यूपी में दर्ज केस से जुड़ी पूरी जानकारी गृह मंत्रालय को भेज दी है। जानकारी के मुताबिक इस मामले की विभागीय जांच भी की जा रही है। हालांकि इस मामले में यूपी पुलिस के बयान सामने नहीं आए हैं।
जानकारी के मुताबिक यह पूरा घटनाक्रम 22 से 24 नवंबर 2022 के बीच का है। उत्तर प्रदेश के आगरा की सीमा में घुसकर मंदसौर पुलिस ने टोल बूथ से राजस्थान निवासी एक ट्रक मालिक को उठाया। वह कूच बिहार से बांस भरकर ला रहा था। उसे 65 किलो अफीम तस्करी का आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया। ट्रक मालिक की पत्नी पहुंची कोर्ट इस पूरे घटनाक्रम का पता चलते ही ट्रक मालिक श्रवण की पत्नी श्यामा कोर्ट पहुंच गईं। उसने आगरा जिले के टोल बूथ के सीसीटीवी फुटेज और फास्टैग की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की तो कोर्ट को मामला संदिग्ध दिखाई दिया। कोर्ट के निर्देश पर 2 जून 2023 को उत्तर प्रदेश के आगरा पश्चिमी के एत्मादपुर थाने पर एमपी के दो टीआई भरत चावला और राकेश चौधरी मंदसौर के अलावा आठ पुलिसकर्मी, एक अन्य और 2 मुखबिरों पर केस दर्ज किया गया था। आरोपी बनाए गए कुछ पुलिस वाले इंदौर, भोपाल में मनचाही जगह पोस्टेड भी किए गए हैं।
आरोपी पुलिस अधिकारी महिला को बता रहे झूठा
ट्रक मालिक की पत्नी श्यामा को शक था कि लकड़ी, डोडाचूरा के राजस्थान और मध्यप्रदेश बॉर्डर पर सक्रिय तस्करों का पुलिस से गठजोड़ नया नहीं है, पुलिस ने इन्हीं के कहने पर उसके पति को झूठा फंसाया है। इधर, मामले में फंसे आरोपी पुलिस अधिकारी महिला के आरोपों को झूठा बता रहे हैं। यहां फिरोज लाला सहित कई गैंग एक्टिव हैं। इनमें से केस में फंसाए गए ट्रक मालिक का भाई इन गैंग से जुड़ा रह चुका है और उनमें विवाद हो गया था। उसी से बदला लेने के लिए ट्रक मालिक भाई को फंसवाया गया।
पुलिसकर्मियों ने विभाग से छिपाया मामला, अच्छी जगह हुई पोस्टिंग
जून 2023 में केस दर्ज होने के बाद भी मंदसौर से अधिकतर अधिकारी-कर्मचारियों को प्रमोशन मिला और नई जगह पोस्टिंग भी। हैरानी की बात यह है कि इन पुलिसकर्मियों ने पूरा का पूरा मामला विभाग से छिपाकर रखा। एफआईआर का सच तब सामने आया जब ट्रक मालिक की पत्नी श्यामा ने मामले की पूरी जानकारी और इन पुलिस अफसरों, कर्मचारियों की पोस्टिंग से लेकर प्रमोशन की पूरी डिटेल पुलिस मुख्यालय को भेजी। इस सूचना के बाद मप्र के गृह मंत्रालय ने मंदसौर से लेकर इंदौर और भोपाल के अफसरों ने इस एफआईआर की पूरी जानकारी मांगी है।
– आईपीसी 193 के तहत कोर्ट में झूठी गवाही देना या उसके लिए तैयार करना। – आईपीसी 330 के तहत डर दिखाकर कोई प्रॉपर्टी अपने नाम करना।