ऑनलाइन फ्रॉड, गेमिंग व बैटिंग के नाम पर धोखाधड़ी कर हर दिन करोड़ों कमाने वाले विदेशी सरगना अब सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर सैकड़ों स्थानीय लोगों से बैंक खाते हासिल कर रहे हैं। 5 प्रतिशत कमिशन के लालच में कुछ स्थानीय लोग धोखेबाजों के लिए काम कर रहे हैं। ग्रुपों में खुलेआम बैंक खातों की मांंग कर कमिशन का लालच दिया जा रहा है । स्थानीय सरगना कमाई के चक्कर में मजदूर व ग्रामीणों को फंसाकर उनके बैंक खाते सप्लाय भी कर रहे हैं। देशभर में यह गिरोह काम कर रहा है, हर दिन करोड़ों जमा हो रहे है जिन्हें यूएसडीटी (डिजिटल करंसी) के रूप में विदेश भेजा जा रहा है। सोशल मीडिया पर इस तरह के ग्रुप बने होने का दावा कर सामाजिक कार्यकर्ता ने जनसुनवाई में शिकायत भी कर दी है, लेकिन अभी प्रशासन गंभीर नहीं है।
इस तरह दिए जा रहे झांसे – 3 से 5 करोड़ तक की प्रतिदिन लिमिट वाले बैंक खातों की जरूरत, राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ ही निजी बैंकों के खाते भी मान्य। करंट अकाउंट ज्यादा मांगे जाते हैं।
– 30 से 40 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी एक स्कैमर गिरोह द्वारा करने की बात सामने आई है। देश के अलग अलग हिस्सों में यह फ्रॉड होतेे हैं। – एक ग्रुप में अलग-अलग बैंक खातों में जमा राशि के जरिए करीब 200 मिलियन रुपए का यूएसडीटी प्रतिदिन करने का लक्ष्य बताया गया है।
– ब्लक में खाते उपलब्ध कराने पर 10 से 20 प्रतिशत कमीशन का दावा किया जा रहा है, जो भी करोड़ों में होता है। प्रतिदिन करोड़ों जमा, यूएसडीटी के जरिए विदेश जा रहा पैसा
सभी ग्रुप्त व अकाउंट की प्राथमिक छानबीन से साफ है कि हर दिन करोड़ों रुपए बैंक खातों में जमा हो रहे है। विदेश में बैठे सरगना तक यह राशयूएसडीटी यानी डिजिटल करंसी (क्रिप्टो करंसी) के रूप में विदेश जा रहा है। दावा है कि विदेश से संचालित होने वाले ऐप के जरिए क्रिप्टो करंसी खरीदी जा रही है, इसकी कीमत यूएस डॉलर के सामान होती है। बैंक खाता उपलब्ध कराने वाले को करीब 5 प्रतिशत राशि दी जाती है, जिसके बैंक खाते का इस्तेमाल होता है उसे तो मात्र कुछ हजार रुपए से ही संतुष्ट होना पड़ता है और जब कभी गिरोह का खुलासा होता है तो बैंक अकाउंट मालिक ही गिरफ्तार होता है, सरगना तक पहुंच नहीं पाते।
तीन श्रेणी में मांग रहे खाते, आतंकी गतिविधियों की फंडिंग में इस्तेमाल सामाजिक कार्यकर्ता शिवम श्रीराम सिंगोडिया ने ग्रुपों की जांच के बाद धोखाधड़ी व आतंकी फंडिंग को लेकर पिछले दिनों कलेक्टर कार्यालय की जनसुनवाई में शिकायत की जहां से मामला एडिशनल डीसीपी 4 के ऑफिस को भेजा गया लेकिन अभी तक पुख्ता जांच शुरू नहीं हो पाई। शिवम का दावा है कि इन ग्रुपों से इंदौर के 4-5 लोग जुड़े है जो मजदूर, आसपास के ग्रामीणों को फायदे का झांसा देकर धोखाधड़ी करने वालों को सैकडों बैंक खाते उपलब्ध कराकर करोड़ों की कमाई कर रहे है। जिनके खाते का इस्तेमाल होता है उन्हें 20-25 हजार रुपए दिए जातेे है जबकि उनके खाते के 4-5 लाख रुपए इन सप्लायर को मिल रहे है। इंंदौर ही नहीं प्रदेश के अन्य हिस्सों के साथ जयपुर, मुंबई, दिल्ली, लखनऊ, अजमेर, आगरा के सप्लायर शामिल है। चीन, दुबई आदि शहरों में बैठे सरगना भी जुडे है जो लगातार खातों की डिमांड कर रहे है। यह लोग तीन श्रेणी गेमिंग, स्टॉक व मिक्स फंंड के लिए बैंक खातों की मांग करते है। इन खातोंं में ओटीपी व ऑनलाइन फ्राड व बैटिंग का पैसा जमा होता है।
विदेश से चल रहे बेटिंग ऐप में इस तरह के खातों का इस्तेमाल, सप्लायर हमारी नजर में बड़ी संख्या में बैंक खाते उपलब्ध कराने वालों के संबंध में पुलिस को जानकारी मिली है। आमतौर पर इस तरह के खाते चीन, ताइवान आदि दूसरे देशों के स्कैमर इस्तेमाल करते है। यह लोग ज्यादा फायदे का झांसा देकर बैंक खातों की जानकारी लेते है और फिर गेमिंग व बेेटिंगऐप के फ्रॉड की धोखाधड़ी की राशि इन खातों में दर्ज कराते है। इस तरह से बैटिंग कराई जाती है कि पैसा लगाने वाले को ज्यादातर हार का ही सामना करना पड़ता है। यह राशि काफी बड़ी होती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टेलीग्राम का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। ब्लक में खाते उपलब्ध कराने की जानकारी मिली है। संदिग्ध सप्लायर पुलिस की नजर में है, साक्ष्य के आधार पर पुलिस कार्रवाई करेगी।
राजेश दंडोतिया, एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच।