मनोज ने अपने ही नंबर से फोन कर भाभी को बोला कि मुझे किडनेप कर लिया है और किडनेपर 400000 मांग रहे हैं वह भाई से बोल कर उसके अकाउंट में पैसा जमा करवा दें। वरना वो उसे जान से मार देंगे और भैय्या-भाभी ने उसे रुपए भी ट्रांसफर कर दिए। हालांकि पुलिस ने मनोज को बंधक बनाकर फिरौती मांगने संबंध में धारा 364-ए भादवी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना शुरू कर दी थी।
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रुचिवर्धन मिश्र द्वारा पुलिस अधीक्षक पूर्व श्री यूसुफ कुरैशी के मार्गदर्शन व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पूर्व जोन 02 श्री शैलेंद्र सिंह चौहान, नगर पुलिस अधीक्षक अनुभाग खजराना एस.के.एस तोमर के निर्देशन में टीम गठित की गई। टीम का नेतृत्व थाना प्रभारी खजराना प्रीतम सिंह ठाकुर द्वारा किया गया। मामले में वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में अपहर्ता की तलाश के प्रयास कि ए जा रहे थे। तब ही पता चला कि अपहर्ता ने दिल्ली, मथुरा व जयपुर के एटीएम से पैसे निकाले गए थे। प्रकरण में सभी कडिय़ों को जोडक़र तथा मुखबिर से प्राप्त सूचना के बाद पता चला कि अपहरण हुआ ही नहीं था तब ही पुलिस ने तत्काल राजस्थान टीम जयपुर की एक होटल से बरामद किया गया।
अपहर्ता ने पूछताछ में बताया कि उसकी चित्रा नगर में किराए की मोबाइल शॉप है, जिसमें वह एमपी ऑनलाइन का काम करता है तथा मोबाइल फाइनेंस कर बेचता है। उक्त दुकान के पास में ही उसकी किराने की दुकान है जो उसकी पत्नी संभालती है। उसके सिर पर डेढ़ लाख रुपए से अधिक का कर्जा हो गया था, उससे कर्जाधारी लोग पैसा मांग रहे थे, कर्जाधारियों से परेशान हो गया था। उसे कुछ न सूझा तो उसने खुद के अपहरण की कहानी रच दी तथा वह पुलिस व परिवारजनों को भ्रामक मैसेजो के माध्यम से लगातार भ्रमित करता रहा। किंतु पुलिस की सूझबूझ के आगे वह टिक नहीं पाया।