दीनदयाल भवन पर पिछले कुछ दिनों से मुस्लिम नेताओं की उपस्थिति बढ़ गई है। उसकी वजह वक्फ बोर्ड में जिला अध्यक्ष, खजराना की नाहर शाह वली दरगाह व खान बहादुर कंपाउड में सदर और कर्बला इंतेजामिया कमेटी में अध्यक्ष सहित कई महत्वपूर्ण कमेटियों का गठन होने जा रहा है। संगठन के दिए हुए नामों पर सरकार ये नियुक्तियां करती है। जल्द ही घोषणा भी होने वाली है जिसकी भनक भाजपा के मुस्लिम नेताओं को लग गई जिसकी वजह से वे सक्रिय हो गए। कल शाम को नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे से एक-एक करके मिल रहे थे जिस पर उन्होंने सभी को एक साथ बुलाकर बैठा लिया।
चर्चा के दौरान रणदिवे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के ९ साल पूरे हो गए हैं। जिसको लेकर पार्टी विशेष जनसंपर्क अभियान चला रही है। उसी तारतम्य में कई आयोजन हो रहे हैं। विधानसभा स्तर पर मोर्चा प्रकोष्ठों के अलावा हितग्राही सम्मेलन हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराजङ्क्षसह चौहान ने लाड़ली बहना योजना घोषित की है तो उससे पहले लाड़ली लक्ष्मी योजना भी चलाई जा रही है। इसके अलावा मोदी सरकार की कई योजनाएं हैं जिनका लाभ मुस्लिम वार्डों में लोग खासा उठा रहे हैं।
पांच-पांच हजार महिलाएं हैं जो लाड़ली लक्ष्मी बनी हैं। भाजपा सरकार लाभ देने में भेदभाव नहीं करती है, लेकिन चुनाव परिणाम में वोट मिलते नहीं हैं। कहीं न कहीं हमारी चूक है जो हम लोगों को समझा नहीं पा रहे हैं। विधानसभाओं में होने वाले हितग्राही सम्मेलन में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को लेकर पहुंचो। काम करके बताओ फिर पद पाओ। पार्टी के लिए भी तो थोड़ा काम करो। खरी-खरी सुनकर सारे नेताओं के चेहरों पर हवाइयां उडऩे लगी।
घर के नहीं मिलते हैं वोट
चौंकाने वाली बात ये है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बूथों से भाजपा को वोट नहीं मिलते हैं। बड़ी बात तो ये है कि भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं के घरों से भी वोट नहीं मिलते हैं। कुछ नेता तो ऐसे हैं जिनके परिवार में दर्जनों मतदाता हैं, लेकिन जब ईवीएम आंकड़ा बताती है तो ५ से ७ वोट ही निकलते हैं। पद लेने के लिए सारे नेता कतार लगाकर खड़े हो जाते हैं। कुछ की तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मदद करने तक की शिकायतें हुई थीं।
चौंकाने वाली बात ये है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बूथों से भाजपा को वोट नहीं मिलते हैं। बड़ी बात तो ये है कि भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं के घरों से भी वोट नहीं मिलते हैं। कुछ नेता तो ऐसे हैं जिनके परिवार में दर्जनों मतदाता हैं, लेकिन जब ईवीएम आंकड़ा बताती है तो ५ से ७ वोट ही निकलते हैं। पद लेने के लिए सारे नेता कतार लगाकर खड़े हो जाते हैं। कुछ की तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मदद करने तक की शिकायतें हुई थीं।