विरोध के चलते सख्त कार्रवाई
प्रदेश सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच एसटीएफ के एडीजी को सौंप दी है। उन्होंने मामले की जांच शुरू कर दी है। अब मामले में बड़ी जानकारी मिली है कि जोन-3 के डीसीपी धर्मेंद्रसिंह भदौरिया को आज उनके पद से हटा दिया गया है। जबकि शुक्रवार को पलासिया थाना टीआई को भी लाइन अटैच कर दिया गया था। वहीं शुक्रवार को ही इस मामले की जांच का जिम्मा पुलिस मुख्यालय ने एसटीएफ एडीजी विपिन माहेश्वरी को सौंप दिया है।
शुक्रवार को गृहमंत्री ने दिए थे निर्देश
शुक्रवार को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मामले में जांच संबंधी निर्देशों की जानकारी मीडिया को दी थी। उन्होंने कहा था कि इस मामले को लेकर एडीजी स्तर के अफसर से जांच करवाई जाएगी। साथ ही कहा गया था कि लाठीचार्ज करने वाले दोषी अधिकारियों को छोड़ा नहीं जाएगा। आपको बता दें कि वहीं बजरंग दाल के पदाधिकारियों की मांग है कि दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। इतना ही नहीं अब भी संगठनों से बातचीत की जाएगी और इसे लेकर रूपरेखा तैयार करने की बात की जा रही है।
यहां पढ़ें पूरा मामला
बजरंग दल ने नशे के विरोध में घेराव और प्रदर्शन की जानकारी पहले ही पुलिस को दे दी थी। वहीं दोपहर 3 से 4 बजे के बीच ही इस प्रदर्शन की जानकारी लोगों को भी थी। बजरंग दल कार्यकर्ताओं का कहना था कि इलाके के पबों में देर रात तक नशाखोरी चलती रहती है। कार्यकर्ता देर रात नशाखोरी करवाने वाले पबों के खिलाफ पुलिस को ज्ञापन देने पलासिया थाने पहुंचे थे। कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन के दौरान थाने पर भारी पुलिस बल मौजूद था। प्रदर्शन के दौरान खासी नारेबाजी की गई थी। इस प्रदर्शन में लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ था। स्थिति नियंत्रण में न होती देख पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज शुरू कर दिया था। इस दौरान कुछ कार्यकर्ताओं को जमकर पीटा गया। जिसका वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद कार्यकर्ताओं को एक बस में बैठाकर ले जाया गया। जिनमें राजेश बिंजवे विभाग मंत्री, विश्व हिंदू परिषद अविनाश कौशल जिला मंत्री, विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल संयोजक तन्नू शर्मा, विभाग संगठन मंत्री अभिषेक उदनिया सहित 11 लोग गिरफ्तार हुए थे। जिन्हें मेडिकल जांच के बाद शुक्रवार को छोड़ दिया गया।