इंदौर. परंपरा कायम रखने का जज्बा देखना चाहते हैं तो, इंदौर की बंद मिलों के परिसर में चले जाइए। अनंत चतुर्दशी की रात निकलने वाले गणपति विसर्जन के झिलमिल कारवां के लिए मिल मजदूर पूरे जोश और उत्साह से लगे हैं। झांकियों का निर्माण चल रहा है। थीम तैयार कर ढांचा बनाने का काम पूरा हो चुका है। इस बार झांकियों में बाहुबली का हाथी और महल आकर्षण का केंद्र बनेंगे, वहीं चल समारोह में हुकमचंद मिल के मजदूरों को बकाया राशि मिलने की खुशी भी झलकेगी।
दशकों से अनंत चतुर्दशी पर शहर की सड़कों पर झांकियों का कारवां लोगों का मन लेता है। पहले सात मिलों की १५ से २० झांकियां कारवां की शान बनती थी। कालांतर में मिलें बंद हो गई, लेकिन झांकियों के निर्माण का सिलसिला बंद नहीं हुआ। मजदूर उसी उत्साह के साथ आज भी सड़कों पर परंपरा को जीते हुए निकलते हैं। हालांकि चमक जरूर फीकी हो गई, लेकिन जोश बरकरार है। इस साल भी उजाड़ मिलों के आंगन में बल्बों पर रंग, पुतलों का निर्माण करते कलाकार नजर आ रहे हैं। दिन-रात पूरी मेहनत के साथ झांकियों का निर्माण हो रहा है। मिलों का जब जायजा लिया गया तो संसाधनों और राशि के अभाव में जुगाड़ से परंपरा को सजाने में लगे हैं। राजकुमार मिल परिसर में दो झांकियों का निर्माण किया जा रहा है। एक झांकी धार्मिक थीम पर है, दूसरी झांकी बाहुबली फिल्म के आधार पर बन रही है, इसमें बाहुबली का झिलमिलाता महल होगा और विशाल हाथी ट्राली पर झूमेगा।
इसी तरह हुकमचंद मिल परिसर में भी निर्माण चल रहा है। यहां पर इस बार दोगुना उत्साह है। एक गणेशोत्सव का तो दूसरा बकाया राशि मिलने का। मजदूर नेता नरेंद्र श्रीवंश बताते हैं कि इस बार एक झांकी में वराह अवतार का प्रसंग बना रहे हैं, दूसरी झांकी में मजदूरों की खुशी को समर्पित है। इसके पास ही ब्रिज के नीचे खजराना गणेश की झांकी आकार ले रही है। जेलरोड स्थित जेल परिसर के पास आईडीए की झांकियों का निर्माण चल रहा है। कलाकारों से जब झांकियों की थीम के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था, अभी तो ढांचा बना रहे हैं।
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