भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के इंदौर आने उनके रूट के साथ केवल इतनी जानकारी दी थी कि वे इंदौर में खुली जीप पर सवार होकर निकलेंगे। वे इंदौर आए और बड़ा गणपति से खुली जीप में सवार होकर निकले। लेकिन उनके आने के पहले ही पूरे शहर के सभी कोनों से लोग उनको देखने के लिए जमा हो चुके थे। जनता के बीच में से वे खुली जीप में सवार होकर निकले तो लोगों ने हार पहनाकर उनका स्वागत करना शुरू कर दिया। उन्होने भी किसी को नहीं मना किया। अटल जी के स्वागत किया। पूरा शहर उनके स्वागत के लिए उमड पड़ा था। हालत ये हो गई थी कि अटल जी को बड़ा गणपति से रेसीडेंसी पहुंचने में 6घंटे से भी ज्यादा समय लग गया था।
कुटिया रह गई थी खाली
कुटिया रह गई थी खाली
२०१० में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक ओमेक्स सिटी में हुई थी। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी के भी बैठक में शामिल होने की सहमती मिली थी। जिसके बाद यहां पर अटलजी के लिए अलग से एक कुटिया बनाई गई थी। लेकिन स्वास्थ्यगत कारणों वे नहीं आ पाए थे, जिसके चलते उनकी कुटिया खाली रह गई थी।
जब डांट दिया था श्रोता को
जब डांट दिया था श्रोता को
आपातकाल के बाद इंदौर में राजबाड़ा पर अटल बिहारी वाजपेयी की विशाल आमसभा हुई थी। इस आमसभा में जनता पार्टी के नेताओं के साथ ही बड़ी संख्या में आम जनता, उन्हें सुनने के लिए जनता चौक पर इकट्ठा हुई थी। अटल जी के मंच पर आने के बाद जब वे अपना भाषण शुरू कर रहे थे, उसी समय किसी श्रोता ने नीचे से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए टिप्पणी कर दी थी। जिस पर वे नाराज हो गए थे और वहीं पर फटकार लगाते हुए कहा था कि मैं कमर के नीचे की बात न तो करता हूं, न सुनना पसंद करता हूं।
पूरा दिन साथ रहे, रात को पूछा कौन है २००३ में प्रधानमंत्री रहते सभा के लिए इंदौर आए अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उस समय के कार्यवाहक अध्यक्ष दिनेश शुक्ला पूरे समय प्रोटोकॉल के तहत थे। रात में जब अटलजी को छोडऩे के लिएवे एयरपोर्ट पर गए तब लगभग 11.30 का समय हो रहा था। उसी बीच उन्होने वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष से पूछा था सुमित्रा जी परिचय नहीं कराया है। वे यकायक समझ नहीं पाई थी। वहीं साथ चल रहे शुक्ला हाथ जोडक़र खड़े हो गए। तब दूर से ही उनकी ओर बढक़र शुक्ला के हाथों को थाम लिया, जब महाजन ने उनका परिचय करवाया तो वे हंसकर बोले बहुत अच्छी बात है।