अच्छी बात यह है कि भले ही डीजीपी को शिकायत के बाद एक को निलंबित तो चार को लाइन अटैच किया गया है। मामले की जांच एसीपी विजय नगर को सौंपी है। मालूम हो, 3 मई को सरवटे बस स्टैंड पर बसों से अवैध वसूली के मामले में छोटी ग्वालटोली थाने के पांच पुलिसकमियों को सस्पेंड किया था।
डीजीपी को की गई शिकायत में आयुष राजावत ने बताया कि वे कुछ दिन पूर्व रोजगार की तलाश में महालक्ष्मी नगर स्थित दोस्त के फ्लैट पर पहुंंचे थे।
इससे पूर्व वे गुरुग्राम में नौकरी करते थे। सोचा था, इंदौर में कैफे या गैरेज डालेंगे। 24 अप्रैल को वे भाई आदर्श और दोस्त मनीष झा सभी निवासी ग्वालियर के साथ फ्लैट पर थे। उनकी पास रहने वाले किराना व्यापारी बंटी से सामान को लेकर कहासुनी हुई तो लसूडि़या थाने के पुलिसकर्मी फ्लैट पर आए और सभी को थाने ले गए। यहां अमानवीय व्यवहार करते हुए बेरहमी से पीटा।
फिर झूठे प्रकरण में फंसाने की धमकी दी। पुलिसकर्मियों ने उन्हें छोड़ने के एवज में 2.10 लाख रुपए मांगे। फिर दो पुलिसकर्मी उनके साथ एटीएम गए और 1.30 लाख रुपए निकलवाए। बाद में सुबह चार बजे उन पर धारा 151 की कार्रवाई कर दी। इसके बाद पुलिसकर्मी एक रेस्टॉरेंट ले गए और मोबाइल से पैसे डलवाए। इसके बाद मोबाइल पर 60 हजार रुपए देने के लिए धमकाया।
…इसलिए भोपाल में की शिकायत
पीडि़त युवकों ने बताया कि पुलिसकमियों की पिटाई से उनके हाथ पर निशान पड़ गए। पैसे मिलने के बाद पुलिसकर्मी कहने लगे कि यहां दिखना मत। घबराकर सभी ने फ्लैट खाली कर दिया और भोपाल पहुंचे और शिकायत की।
डीजीपी से की शिकायत में पैसों की मांग की ऑडियो रिकॉर्डिंग, बैंक स्टेटमेंट की कॉपी और लसूडि़या थाने के पास स्थित एटीएम से रुपए निकालने का प्रमाण, मारपीट के फोटो, लसूडि़या थाने पहुंचने की लोकेशन आदि के प्रमाण दिए।
वहीं वायरल ऑडियो में पुलिसकर्मी धर्मेंद्र परिहार की आवाज आ रही है। जिसके बाद उसे निलंबित किया गया है। वहीं कार्यवाहक प्रधान आरक्षक बृजेश सेंगर, विजय शर्मा, राधेश्याम राठौर और पवन शर्मा को लाइन अटैच किया है।