मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान के मकरानी के मार्बल का उपयोग किया जा रहा है। राजस्थानी कारीगरों द्वारा ही मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। नए मंदिर की लंबाई 108 फीट और चौड़ाई 54 फीट होगी। मुख्य कलश की ऊंचाई 81 फीट होगी। मंदिर में कुल 50 स्तंभ रहेंगे। मंदिर का गर्भगृह, श्रृंगार की चौकी, परिक्रमा स्थल के साथ ही एक विशाल हॉल का निर्माण भी किया जाएगा। यहां वर्तमान में बने हाथी वाले गेट को यथावत रखा जाएगा।
इस मंदिर को 9 वीं शताब्दी में इंडो आर्यन और द्रविड़ स्थापत्य शैली के संयोजन का उपयोग करके बनाया गया था। यह मंदिर हिंदू देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है। हिंदू धर्म में अन्नपूर्णा देवी को भोजन की देवी माना गया है। भारत में कई अन्नपूर्णा मंदिर हैं लेकिन इंदौर का अन्नपूर्णा मंदिर अपने आप में अलग है. इसलिए भक्तों के साथ साथ पर्यटक भी इस मंदिर की ओर खिंचे चले जाते हैं।
मंदिर में मां अन्नपूर्णा की तीन फुट ऊंची संगमरमर की मूर्ति है। मंदिर की अविश्वसनीय वास्तुकला शैली मदुरई के विश्व प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर से प्रभावित है। मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत प्रभावशाली है। मंदिर के मुख्य द्वार पर चार बड़े हाथियों की मूर्ति है। मंदिर परिसर के भीतर अन्नपूर्णा माता के साथ ही शिवजी हनुमानजी और काल भैरव भगवान को समर्पित मंदिर भी हैं। मंदिर की बाहरी दीवारें अभी भी रंगीन पौराणिक चित्रों में हैं। मंदिर की दीवारों पर कृष्ण लीला का चित्रण है।