यह बात आइआइटी इंदौर के प्रोफेसर बीएस पचोरी ने सोमवार को एसजीएसआइटीएस के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग विभाग में पांच दिनी शॉर्ट टर्म कोर्स एडवांसमेंट इन माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स एंड वीएलएसआई डिजाइन के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने माइक्रोइलेक्ट्रोनिक्स एंड वीएलएसआई डिजाइन टेक्निक के बारे में अपने विचार साझा करते हुए कहा, इसका सबसे ज्यादा प्रयोग मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए किया जाना चाहिए। इस तकनीक की मदद से ऐसे सेंसेज बनाने के ऊपर काम किया जाना चाहिए जिससे हार्ट अटैक और ब्रेन की बीमारियों के बारे में पहले से ही पता चल जाएं। वो समय दूर नहीं जब पैरालाइस, ब्रेन और हार्ट से जुड़ी बीमारियों का होने से पहले ही पता चल जाएगा। अध्यक्षता संस्थान के डायरेक्टर डॉ. आरके सक्सेना ने की।
ऐसे काम करेगी टेक्निक उन्होंने कहा, जब भी कोई बीमारी होती है तो न्यूरॉन की पॉजिशन चेंज होती है। न्यूरॉन्स में हो रहे बदलाव को सेंसर सेंस कर लेगा और एक अलर्ट मैसेज आपकी डिवाइस पर पहुंचा देगा। सेंसर की डिजाइन पर काम करते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि उसकी साइज छोटी हो ताकि उसे आसानी से बॉडी पर कैरी किया जा सके और उसकी एक्यूरेसी बहुत ज्यादा होनी चाहिए।