इंदौर के कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा लोकसभा चुनाव से नामांकन वापस लेने और भाजपा का दामन थामने के पीछे एमपी बीजेपी के सीनियर नेता और प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय Kailash Vijayvargiya का सबसे बड़ा हाथ है। उन्होंने पर्दे के पीछे रहकर ऐसी गोटियां चलीं कि विपक्षी हक्के बक्के रह गए। हालांकि अक्षय बम के नामांकन वापस लेने और कांग्रेस छोड़ने के बाद भी विजयवर्गीय की मंशा अधूरी ही रही।
दरअसल कैलाश विजयवर्गीय इंदौर में भी सूरत जैसा कांड दोहराना चाहते थे। जैसे सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन निरस्ती के बाद सभी निर्दलीयों को भी लोकसभा के लिए चुनाव मैदान से हटाकर बीजेपी प्रत्याशी को निर्विरोध विजयी बना दिया गया था, विजयवर्गीय ऐसा ही इंदौर में भी करना चाहते थे। पर उनकी यह मंशा पूरी नहीं हो सकी।
यह भी पढ़ें— Lok Sabha Election 2024 : ‘बम धमाके’ की इनसाइड स्टोरी- पुराने मामलों का दबाव था लेकिन बगावत से डर रहे थे कांग्रेस प्रत्याशी बीजेपी नेता कांग्रेस उम्मीदवार को तो मैदान से हटाने से सफल रहे पर सभी निर्दलीयों को नहीं साध सके। अक्षय बम के साथ सोमवार को कुल 8 प्रत्याशियों ने नामांकन वापस ले लिए लेकिन इसके बाद भी इंदौर लोकसभा के लिए कई प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। यानि बीजेपी प्रत्याशी को निर्विरोध जिताने की कैलाश विजयवर्गीय की मंशा पूरी नहीं हुई।
इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी अक्षय कांति बम द्वारा नामांकन वापसी के बाद भी यहां बीजेपी प्रत्याशी के सामने 14 प्रत्याशी चुनावी मैदानी में हैं। इनमें अधिकांश निर्दलीय हैं लेकिन बहुजन समाज पार्टी, जनता कांग्रेस, अखिल भारतीय परिवार, जन संघ, सोसाइटी यूनिटी सेंटर आफ इंडिया जैसे दलों के प्रत्याशी भी शामिल हैं। अब कांग्रेस इन्हीं दलों के किसी प्रत्याशी या मजबूत निर्दलीय को समर्थन देकर बीजेपी को चुनौती देने पर विचार कर रही है।