इंदौर। नंबर वन रहना अब इंदौर की कार्यशैली की पहचान बनती जा रही है। स्वच्छता में अव्वल रहने के बाद अलग-अलग क्षेत्रों में भी हमारे काम सर्वश्रेष्ठ रहे। अब इंदौर प्रशासन ने एक और उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है। भारत सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने इंदौर को विकलांगजन पुनर्वास सेवाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ जिले के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा है। यह पुरस्कार विश्व दिव्यांग दिवस पर 3 दिसंबर को राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाएगा।
कोरोना में कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग मॉडल की बात हो, प्रवासी लोगों की सेवा हो या विकलांगों को सहयाता पहुंचाने और इनके लिए बेहतर जीवन जीने का माहौल बनाने के प्रयास हो सभी में इंदौर आगे रहा है। कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देशन में सामाजिक विभाग के अफसरों की टीम इंदौर जिले को डिसेबल्ड फ्रेंडली बनाने में जुटी है। इन लोगों के हुनर व कौशल को विकसित करके इन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी काम किए जा रहे हैं।
संयुक्त संचालक सुचित्रा तिर्की व सहायक एस सोलंकी के अनुसार सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन और प्रबंधन करके विकलांगों को सुविधाएं दी जा रही हैं। इंदौर जिले में 4650 से ज्यादा विकलांगजनों को मेडिकल सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके अलावा कोरोना काल में इन लोगों का पूरा ध्यान रखते हुए इनकी हर संभव सहायता की गई। लॉकडाउन में इंदौर जिले में फंसे 275 से अधिक छात्रों एवं मजदूरों को उनके गृह जिले एवं राज्य भेजा गया। वहीं 1500 से ज्यादा स्थानीय विकलांगों को राशन, दवाई, मेडिकल सेवाएं त्वरित रूप से उपलब्ध करवाई गई। जिला प्रशासन ने एक हेल्पलाइन सुविधा भी बनाई थी। यह आज भी जारी है। इससे 500 से ज्यादा विकलांगों की काउंसलिंग की जा चुकी है।
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