एक ओर केंद्र सरकार जीएसटी बिल लाकर टैक्स का एकत्रीकरण करने जा रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार ने नगरीय निकायों से मनोरंजन कर वसूलने की तैयारी कर ली है। वित्तमंत्री जयंत मलैया ने इस बात की जानकारी इंदौर में एक सेमिनार में दी है।
इसके तहत नगरीय निकायों को ये अधिकार दिया जाएगा कि वे आमोद-प्रमोद टैक्स की वसूली कर सकें। इसका मतलब है मनोरंजन टैक्स की वसूली। इससे मनोरंजन के साधनों के महंगे होने की संभावना है। जिससे आम आदमी के जेब पर अधिका भार बढ़ सकता है। ऐसे में सरकार की इस दोहरी टैक्स प्रणाली के बारे में आप क्या सोचते हैं?
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Hindi News / Indore / नगरीय निकायों को मनोरंजन कर की छूट देने से क्या आम आदमी पर भार बढ़ेगा? राय दें…