इतने दिनों में किसी जिम्मेदार ने ये जहमत नहीं की कि, इस संबंध में मृतक के परिजन को सूचित कर सकें। दरअसल, जांच में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर 6 सितंबर को बोर्ड कॉलोनी पीथमपुर के रहने वाले 54 वर्षीय तानाजी को शहर के एमटीएच अस्पताल में भर्ती किया गया। इलाज के दौरान 9 सितंबर को उनकी मृत्य हो गई। इसी दिन एमटीएच प्रबंधन ने शव को पन्नी में लपेटकर एमवाय की मर्चुरी भेज दिया। हालांकि, यहां किसी ने भी शव के परिजन को सूचित करने के बारे में नहीं सोचा। हालांकि, बीते दिनों अस्पताल की मर्चुरी से नरकंकाल मिलने के बाद की गई प्रशासनिक सख्ती के चलते मर्चुरी में मौजूद एक एक शव की पड़ताल की जा रही है। इसी दौरान इस शव का खुलासा भी हो सका।
पड़ताल में जब प्रबंधन के सामने आया कि, शव पिछले 9 दिनों से कोरोना संक्रमित शव मर्चुरी में रखा है तो आनन फानन में उसके परिजन को इस संबध में सूचित किया गया। इस दौरान अस्पताल पहुंचे परिवार का कहना है कि, वो तो समझते थे कि, एमटीएच में उनके मरीज का इलाज चल रहा है, लेकिन वो नौ दिन पहले ही मर चुके थे और किसी ने इस संबंध में बताने की भी जहमत नहीं की। परिवार के लोग अस्पताल प्रबंधन पर खासा नाराज भी नजर आया। हालांकि, बाद में वो शव ले गए। वहीं, अस्पताल के सूत्रों की मानें तो जिस दिन शव एमवायएच आया था, तब पुलिस चौकी को सिर्फ ये जानकारी दी गई थी कि, इस शव के परिजन को तलाशना है।
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अस्पताल प्रबंध ने दये ये तर्क
-जिस दिन यानी 9 सितंबर को मरीज की मौत हुई, उसी दिन फौरन मृतक के परिजन को बता दिया गया था। वो नहीं आए तो शव एमवायएच की मर्च्युरी में रखवा दिया था। परिजन ने संपर्क नहीं किया। इसपर शुक्रवार को उन्हें दोबारा खबर दी गई, तब कहीं जाकर वो आए और शव ले गए।
-अस्पताल के रजिस्टर में मरीज के नाम को लेकर कुछ त्रुटि थी, जिसपर गफलत हो गई। रजिस्टर में स्पेलिंग गलत थी। परिजन आए थे, लेकिन नाम की गफलत होने के कारण उन्हें मरीज के संबंध में पता नहीं चल सका था, कि आखिर वो कहां है।
-घर के एक सदस्य की कोरोना पुष्टि होने के बाद परिजन खुद भी क्वारंटीन थे। इस वजह से सूचना मिलने के बाद भी वो नहीं आ सके। क्वारंटीन अवधि पूरी होने पर शुक्रवार को वो शव ले गए।
-आधिकारिक रूप से कोई कुछ कहने को तैयार नहीं, ऑफ द रिकॉर्ड भी जिम्मेदार अलग-अलग बयान दे रहे हैं। अब पता नहीं कि, आखिर सच बोल कौन रहा है।
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मर्च्युरी से खबर देने का कोई सिस्टम ही नहीं
मर्चुरी से नरकंकाल मिले के बाद अस्पताल द्वारा ही गठित की गई तीन सदस्यी कमेटी की रिपोर्ट में कुछ खामियां सामने आई हैं, जिसके मुताबिक।
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बुजुर्ग का निकला कंकाल बनने वाला शव
बीते दिनों चर्चा में आए कंकाल बना शव 60 वर्षीय बजुर्ग का निकला। 23 अगस्त को संयोगितागंज थाने से तीन अज्ञात शव अस्पताल लाए गए थे, जिनमें से दो शवों का अंतिम संस्कार पोस्टमॉर्टम के बाद 5 और 7 सितंबर को कर दिया गया। कुछ प्रबंधकीय प्रक्रिया के चलते एक शव का पोस्टमॉर्टम के बावजूद भी अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका था। प्रबंधन को आशंका थी कि, ये वही शव है। इसे प्रमाणित करने के लिए शव का एक बार फिर पीएम कराया गया, इसमें स्पष्ट हुआ कि 30 अगस्त को जिस 60 वर्षीय बुजुर्ग का शव आया था, ये वही था। जांच में खुलासा हुआ कि पीएम के बाद भी वार्ड बॉय, एमवायएच ने निगम को इसे डिस्पोज करने की जानकारी नहीं दी।