इंदौर

75 Independence day 2021: एक परिवार, चार पीढ़ियां, 12 सैन्य अफसर

75 Independence day 2021: परिवार के लिए परंपरा बन गई देश सेवा

इंदौरAug 15, 2021 / 07:30 am

Hitendra Sharma

75 Independence day 2021: इंदौर. एक परिवार, चार पीढियां और 12 सैन्य अफसर.. यह इंदौर के एक परिवार की कहानी, इस परिवार के वरिष्ठ सदस्य की किताब पर जनरल वी के सिंह ने लिखी है। परिवार की माने तो उन्होंने सीडीएस बिपिन रावत के पिता के साथ एक ही रेजीमेंट में काम किया है। इस परिवार ने देश की हर लड़ाई में हिस्सा लिया है और नाम रोशन किया। फिर चाहे वह सेकेंड वल्र्ड वार हो, चीन और पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध हो या फिर कारगील की लड़ाई। सभी में अपने शौर्य दिखाया है।

हम बात बात कर रहे है दिखित परिवार की है। कभी लालबाग पैलेस और अब महू में रहने वाले इस परिवार ने होलकर स्टैट की सेना से शुरुआत की थी। इस सेना में परिवार की तीन पीढिय़ों ने काम किया है। इसके बाद उसका भारतीय सेना में विलय हो गया और परिवार ने गोरखा रेजीमेंट जाइन कर ली। इस परिवार के सबसे बड़े सदस्य रिटायर्ड कर्नल ओमकारसिंह दिखित है। उन्होंने अपने अनुभवों पर एक किताब लिखी है। जो कि हाल ही में छपकर आई है। इस किताब की प्रस्तावना रिटायर्ड जनरल वीके सिंह ने लिखी है।

independence_day_speical_story_5.jpg

कर्नल ओमकार सिंह दिखित 98 साल के हो गए और अपनी 100 वे जन्मदिन पर पार्टी करना चाहते है। सेना की बात करते ही उनकी आंखों में एक चमक आ जाती है। बड़े गर्व से बोलते है, वर्तमान सीडीएस बिपिन रावत के पिता के साथ में भी काम किया है। कई मेडल भी जीते और अब वह सारे अपनी पल्टन को दे दिए। जिन्हें पल्टन ही संभाल रही है। सेना के प्रति उनका लगाव इतना है कि अब भी महू छावनी में रहते है। सेना भी उनका उतना ही ध्यान रखती है। सेना की ओर से उन्हें एक व्यक्ति दिया गया है जो कि हर वक्त उनके साथ में रहता है।

independence_day_speical_story_6.jpg

यह है परिवार के अफसर
परिवार की बेटी डॉ हेमलता दिखित ने बताया कि वैसे से पांच पीढिय़ों से ज्यादा से उनके यहां सेना में जाने की पंरपरा रही है, लेकिन उनके पास चार पीढिय़ों का ही रिकार्ड है। दादा कैप्टन गोपालसिंह दिखित, लेफट. कर्नल मंगलसिंह दिखित, भाई लेफ्टीनेंट कर्नल औमकारसिंह दिखित, उनसे छोटे मेजर अजीतसिंह दिखित, मेजर रामसिंह दिखित, मेजर रामसिंह के बेटे बिग्रेडियर संजयसिंह दिखित है। वहीं परिवार की पांचवी पीढ़ी संजयसिंह की बेटी भी सेना में जाने के लिए तैयारी कर रही है। वह भी एनसीसी कैडेट है।

independence_day_speical_story_7.jpg

बेटियों के परिवार भी सेना में
मेजर रामसिंह के दामाद कर्नल वेणुधरसिंह ने सेना में सेवाएं दी है। उनकी बहनों की बात करे तो बड़ी बहन देवीका पंवार के पति मेजर देवीसिंह, उनके बेटे बिग्रेडियर बसंत पंवार और फिर उनके दोनों बेटे कर्नल हेमंत पंवार और कैप्टन तरुण पंवार, उनसे छोटी बहन जानकीसिंह के बेटे कर्नल विवेकसिंह और दामाद कर्नल शिरिष पांडे भी सेना से ही है।

independence_day_speical_story_3_1.jpg

बड़े भाई की शहादत, छोटे ने ज्वाइन कर ली सेना
डॉ हेमलता के मुताबिक बेटे मेजर अजीत सिंह यूएन के एक मिशन के दौरान शहीद हो गए थे। वह कांगो गए थे। उनके शहीद होने के बारे में परिवार को पता चला इसके कुछ ही दिनों बाद परिवार के सबसे छोटे बेटे मेजर रामसिंह ने भी सेना ज्वाइन कर ली। एक बेटे को खो चुके इस परिवार के मन में कोई चिंता का भाव नहीं आया, बल्की बेटे को प्रेरित किया कि वह भी अपने परिवार की राह पर चले। सभी को सिखाया गया है कि जिस गोली पर जिसका नाम लिखा होता है, उससे बचा नहीं जा सकता। बाकी से डरने की जरुरत नहीं। बचपन से ही सभी को देश सेवा और निडरता का पाठ पढ़ाया जाता है। अंध विश्वास दूर रहने की यह शिक्षा दी गई है। बिल्ली रास्ता काटे तो दूसरों को रोक वह लोग निकल जाते हैं। ताकि दूसरों के मन से भी डर दूर कर सके।

independence_day_speical_story_1_1.jpg

दुशमन की बंदूक छीन किया हमला
मेजर रामसिंह के बेटे रिटायर्ड ब्रिगे. संजयसिंह ने बताया कि पिता बंगलादेश में पाकिस्तानी सेना के साथ में युद्ध कर रहे थे। इस दौरान एक उनकी गन में कोई तकनीकी खराबी आ गई थी। इस पर पर पाकिस्तानी सेना के एक जवान से हथियार छीना और उससे ही युद्ध लड़ा। यह हथियार काफी दिनों तक उनके पास में था। फिर उसे जमा करा दिया गया। पिता जब मोर्चे पर थे तो रेडियों पर सामाचार सुनते थे। घर में सेना का माहौल और रेडियों पर उस दौरान सुनी गई सेना की कार्रवाई से ही मन बना लिया था कि अब सेना में जाना है। अब उनकी बेटी भी इससे प्रभावित होकर तैयारी कर रही है।

independence_day_speical_story_2_1.jpg

बड़े पूछते है किसी रेजीमेंट में जाना है
संजय दिखित ने बताया कि परिवार में सेना का माहौल रहा है। एक पीढि़ दूसरे को यह बता देती है कि कुछ भी फ्री में नहीं मिलता, कमाना पढ़ता है। हर किशोर से यह हीं पूछा जाता है कि उसकी पसंद कौन सी रेजिमेंट है। हर किसी को अपनी रेजीमेंट चुनने दिया जाता है। वैसे परिवार में सभी लोग गोरखा और मराठा रेजीमेंट से ही है। उनसे भी दादी स्कूल के समय से ही पूछने लगी थी, ताकी वह भी अपने बड़ों की तरह एनडीए करे और सेना में भर्ती हो जाए। उन्हें टेक्रोलॉजी में रूची थी। इसके चलते सिग्रलस में जाइन की है।

Hindi News / Indore / 75 Independence day 2021: एक परिवार, चार पीढ़ियां, 12 सैन्य अफसर

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.