मौसम विभाग की माने तो भोपाल में अब तक के रिकार्ड में सबसे अधिक वर्षा हुई है, इस साल अब तक हुई बारिश ही पिछले 50 सालों में सबसे अधिक रही है, क्योंकि अभी तक यहां 72 इंच बारिश हो चुकी है, संभावना है कि इतनी बारिश शायद ही किसी अन्य जिले में हुई हो।
पूरे प्रदेश में गिरा एक से दो ईंच पानी
जानकारी के अनुसार कुछ जिलों को छोड़कर प्रदेश के अधिकतर जिलों में पिछले 24 घंटों में एक से दो इंच बारिश हुई है, वहीं आज भी ग्वालियर और सागर संभाग के सभी जिलों तथा भिंड, सीहोर, देवास एवं बैतूल में भारी बारिश की संभावना व्यक्त की जा रही है। वहीं सागर, भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर एवं चंबल संभागों के जिलों में आकाशीय बिजली गिरने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
बारिश का अर्ध शतक यानी 50 इंच पूरा हो गया
इस साल अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों ओर से भरपूर पानी मिला। इससे मध्य शहर में बारिश का अर्ध शतक यानी 50 इंच पूरा हो गया। मौसम केंद्र एरोड्रम क्षेत्र के आंकड़ों में शहर अर्ध शतक की ओर बढ़ रहा है, यहां अब तक 45.3 इंच बारिश दर्ज की गई है। यह सालाना औसत से करीब 8 इंच व पिछले साल से हुई बारिश से 10 इंच ज्यादा है। अच्छी बारिश का असर यह रहा कि शहर पानी से लबालब हो गया। सारे तालाब भर गए हैं। गुरुवार को दिनभर रिमझिम बारिश का सिलसिला चलता रहा। मौसम विभाग के अनुसार, दिनभर में आधा इंच से ज्यादा बारिश दर्ज की गई। विभाग के अनुसार, बीते चार दिनों में चार इंच और सितंबर माह में अब तक छह इंच बारिश दर्ज की जा चुकी है।
बारिश का सिलसिला अभी जारी रहेगा
मौसम विभाग की मानें तो वर्तमान में अरब सागर में मानसून सक्रिय है। बंगाल की खाड़ी से भी नमी आ रही है। दोनों के प्रभाव से उत्तर-पश्चिम मप्र पर एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है, जिससे लगातार बारिश मिल रही है। यह सिलसिला अगले दो-तीन दिन तक जारी रहेगा। इस बार मानसून समय से पहले यानी 30 सितंबर से पहले ही विदा होने के संकेत मिले हैं। वर्तमान में जिस तरह से सक्रियता नजर आ रही है, विभाग का यह अनुमान बदल सकता है। यदि बारिश होती रही तो शहर को पिछले साल से डेढ़ गुना ज्यादा पानी मिल जाएगा।
मध्य क्षेत्र में ज्यादा बारिश इसलिए…
इस बार शहर में पूरब से कम बारिश आई। ज्यादातर सिस्टम दक्षिण-पश्चिम से शहर की ओर आए। पूरब की ओर से आए बदरा भी शहर के मध्य क्षेत्र में सघन होकर बरसे। वैज्ञानिक इसे मध्य शहर में फैली हरियाली को कारण मानते हैं। घनी हरियाली वाले क्षेत्रों में बादलों को बरसने के लिए अनुकूल स्थितियां मिल जाती हैं। सामान्य सा उदाहरण है, भोपाल की हरियाली से द्रोणिका उस ओर चली गई। वहां आंकड़ा 70 इंच पहुंच गया है।
अच्छी बारिश का असर
इस बार अगस्त में मानसून का स्पेल अच्छा रहा। दो-तीन बार बने कम दबाव के क्षेत्र व द्रोणिका की स्थिति नीचे की ओर रहने से पानी बरसता रहा। कई साल बाद प्रदेश के ऊपर अवदाब यानी डीप डिप्रेशन की स्थिति भी बनी थी। इसका असर यह रहा कि शहर में मानसून सीजन में औसत बारिश 36.6 से 8 इंच ज्यादा बारिश दर्ज हुई है। अच्छी बात यह है, इस बार जिले का भी कोटा लगभग पूरा हो गया है। शहर के सभी जल स्रोत लबालब हो गए हैं। सिरपुर तालाब ओवर फ्लो चल रहा है, यशवंत सागर में सायफन चल रहे हैं।