जिला प्रशासन और परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर बस संचालकों की बैठक ली। रेसीडेंसी कोठी में हुई बैठक में अफसरों ने साफ कहा कि यदि भविष्य में किसी प्रकार स्कूल बस दुर्घटना होती है तो ड्राइवर और क्लीनर के साथ ही स्कूल संचालक पर भी केस दर्ज किया जाएगा।
मालूम हो, ‘पत्रिका’ द्वारा लगातार स्कूल बसों की मनमानी व गाइडलाइन तय नहीं होने को लेकर खबरें प्रकाशित की गईं, जिसके बाद अफसरों की नींद टूटी। अफसरों ने दिशा-निर्देश देने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन से अवगत कराया। इस दौरान स्कूल संचालकों की जिम्मेदारी भी तय की गई।
समय-समय पर स्कूल बसों की होगी जांच
अपर कलेक्टर पवन जैन और आरटीओ जितेन्द्र सिंह रघुवंशी द्वारा मुख्य तौर पर स्कूल बसों के फिटनेस समेत ड्राइवर और क्लीनर को लेकर नियम बताए गए। अधिकारियों ने कहा, अगर किसी प्रकार स्कूल बस की दुर्घटना होती है तो ड्राइवर और क्लीनर के साथ ही स्कूल संचालक पर भी आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा। साथ ही समय-समय पर स्कूल बसों की जांच भी होगी। बैठक में डिप्टी कमिश्नर सपना जैन और एआरटीओ अर्चना मिश्रा भी मौजूद थीं।
स्कूल बसों में केयर टेकर जरूरी, जीपीएस भी अनिवार्यबस का रंग पीला।
स्कूल बस ऑन ड्यूटी का उल्लेख।
फर्स्ट एड बॉक्स।
अधिकृत स्पीड गर्वनर।
खिड़कियों में हॉरिजेंटल ग्रिल।
फायर उपकरण।
स्कूल का नाम, फोन नंबर का उल्लेख।
सीट के नीचे बैग रखने की व्यवस्था।
चालक को ड्रायविंग का 5 साल का अनुभव।
बस में बच्चों की देखभाल के लिए एक व्यक्ति की नियुक्ति।
जिस चालक पर नियम तोड़ने के चालान हों, उससे बस नहीं चलवाई जाए।
चालक पर प्रकरण दर्ज न हो।
आपातकालीन द्वार।
सीसीटीवी, जीपीएस।
कांच पारदर्शी हो।
बस में पर्याप्त रोशनी-सफाई।
सीटें गैर-ज्वलनशील हो।
रिफ्लेक्टिव टेप एवं स्टॉप साइन।
वैध रजिस्ट्रेशन, फिटनेस, परमिट, बीमा आदि।
स्टेपनी टायर एंव मरम्मत किट।
इमरजेंसी सायरन, अलार्म बेल।
चालक फोन पर बात न करें।
पुल-पुलिया पर पानी होने पर बस क्रॉस न करें।
बस की क्षमता अनुसार ही छात्रों को बैठाएं।
संचालक द्वारा समय-समय पर ड्रायवर-क्लीनर को ट्रेनिंग दें।
प्रबंधन जीपीएस-सीसीटीवी की निगरानी करें।
बस गेट अंदर से बंद करने की व्यवस्था हो।
प्रबंधन पालकों से बस परिवहन का फीडबैक लें।
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2018 में हुआ था इंदौर में भयानक बस हादसा
मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में साल 2018 में भीषण स्कूल बस हादसा हुआ था, जिसमें कई बच्चों की जान गई थी, स्कूल बस बायपास के अंडरपास पर डिवाइडर लांघ कर दूसरी ओर तेज गति से आ रहे ट्रक से टकरा कर चकनाचूर हो गई। हादसे में चार बच्चों और ड्रायवर की जान चली गई, शेष 9 लोग आज भी दर्दनाक हादसे के दर्द से उबर नहीं पाए हैं। बस हादसे के बाद भी बसों की रफ्तार कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही है। बायपास की गति और तेज हो गई। पहले तो भारी वाहन ही नजर आते थे, अब तो स्कूटर, मोटर साइकिलें भी फर्राटे भर रही हैं। सरकारी दावे-वादे कागजों में कछुआ चाल से चल रहे है। आधी-अधूरी सर्विस रोड बनी है, लेकिन रहवासी क्षेत्र के हिस्से आज भी अंधेरे में डूबे हैं।