इंदौर. 2016 में टैक्स की वसूली की गई राशि में गड़बड़ी करने वाले बिल कलेक्टर पर गुरूवार को नगर निगम ने कार्रवाई की। नगर निगम ने बिल कलेक्टर को छह साल बाद नौकरी से बर्खास्त कर दिया। गुरूवार को इसके लिए आदेश जारी कर दिए हैं। बिल कलेक्टर महेन्द्र परमार 2016 में जोन 14 पर नियुक्त था। इस साल के ऑडिट के दौरान नगर निगम के खातों की जांच करने वाले डिप्टी डायरेक्टर लोकल फंड आडिट ने एक बड़ी गड़बड़ी पकड़ी थी। उन्होने फरवरी 2017 में एक चिट्ठी लिखकर निगम को बताया था कि 05 जुलाई 2016 की जोन की नकद आय 2,81,042 रुपए थी। किन्तु बैंक स्टेटमेंट और जमा का मिलान करने पर केवल 34,552 रुपए ही जमा बताए गए थे। बची हुई 2,46,490 रुपए की राशि गायब थी। इस राशि के गायब होने की जानकारी सामने आने के बाद तत्कालीन निगमायुक्त ने इस मामले में परमार के खिलाफ जांच बैठाई थी। साथ ही उपायुक्त लता अग्रवाल को जांच अधिकारी नियुक्त किया या था। उन्होनें अपनी जांच पूरी करने के बाद प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। जिसमें उन्होंने परमार को पैसों की गड़बड़ी के लिए दोषी माना था। जांच में आरोप प्रमाणित होने के बाद संबंधित अधिकारी को सात दिनों का समय अपना सपष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए दिया गया था। लेकिन उसके द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। जिसके बाद उसके आरोपों को सही मानते हुए महेन्द्र परमार की निगम सेवाएं खत्म करने के आदेश जारी कर दिए। गौरतलब है कि इसी तरह से 2019 में भी एक ओर बिल कलेक्टर द्वारा पैसों की गड़बड़ी का मामला ऑडिटर्स द्वारा सामने लाया गया था, लेकिन उस मामले में भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।