लाखों रुपए की लुटाई सांसरिक वस्तुएं
श्वेतांबर जैन समाज के आचार्य जिनचंद्र सागर सूरीश्वर महाराज की निश्रा में इंदौर में आयोजित 10 वर्षीय बालक सिद्धम जैन के दीक्षांत समारोह में वर्षीदान यात्रा निकाली गई। शनिवार सुबह रेसकोर्स रोड स्थित उपाश्रय से निकली इस यात्रा में दीक्षा लेने से पहले सिद्धम ने लाखों रुपए की सांसारिक वस्तुएं लोगों में लुटा दी। सिद्धम ने सोने-चांदी के गहने, नोट, कपड़े, खिलौने लुटाए। बालक के हाथों से यह सामग्री लेने के लिए रथ के आसपास समाजजनों की भारी भीड़ चल रही थी। सिद्धम का दीक्षा समारोह रविवार सुबह 8 बजे से हिंकारगिरी पर्वत पर होगा। इस दौरान नामकरण भी किया जाएगा। इसी के साथ सिद्धम वैराग्य की राह पर चल पड़ेंगे और संत बन जाएंगे।
वरूण रथ पर सवार थे सिद्धम
वरुण रथ पर सिद्धम मां प्रियंका जैन के साथ सवार थे। मान्यता है कि दीक्षा प्राप्त कर रहे बालक द्वारा लुटाई गई सामग्री बरकती होती है। यात्रा में सबसे आगे बैंड-बाजे थे। इस पर भक्ति गान करते समाजजन चल रहे थे। पीछे जैन समाज की महिलाएं नृत्य करती चल रही थीं। नवकार परिवार के प्रवीण गुरु, महेंद्र गुरु और सोमिल कोठारी ने बताया कि यह वर्षीदान यात्रा उपाश्रय से शुरू होकर राणीसती कॉलोनी, यशवंत निवास रोड, लैंटर्न तिराहा, बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स पहुंची। इस मौके पर 26 मई को रतलाम मे दीक्षा लेने वाले बाल मुमुक्षु ईशान कोठारी खुली जीप तो जुड़वां बहनें पलक-तनिष्का चाणोदिया रथनुमा बग्घी में सवार थीं।
रथ पर सवार होते ही नाचने लगे सिद्धम
वर्षीदान यात्रा शुरू होने से पहले दीक्षार्थी सिद्धम ने आचार्य जिनचंद्र सागर सूरीश्वर महाराज और आनंदचंद्र सागर सूरीश्वर महाराज से आशीर्वाद लिया। रथ पर सवार होते ही सिद्धम भक्ति संगीत की धुन पर नाचने लगे।
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संयम के बिना जीवन का परम लक्ष्य नहीं
दीक्षा पर्व में देशभर से पहुंचे श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए आचार्य जिनचंद्र सागर सूरीश्वर ने कहा कि संयम के बिना जीवन का परम लक्ष्य नहीं प्राप्त किया जा सकता है। बाल मुमुक्षु और जुड़वां बहनों ने बहुत छोटी उम्र में संयम जीवन अंगीकार कर समाज के समक्ष आदर्श प्रस्तुत किया है। इनका संयमी जीवन समाज में बड़ों के लिए निश्चित ही प्रेरणा बनेगा। सभी दीक्षार्थियों ने अपना मनुष्य जन्म सफल करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।